असली गोमेद रत्न की पहचान क्या है?

गोमेद राहु के दोषों को दूर करके राहु की शांति प्रदान करनेवाला रत्न है, आइये जाने असली गोमेद रत्न की पहचान क्या है?

असली गोमेद रत्न की पहचान क्या है?

गोमेद राहु ग्रह का रत्न है जिसे राहु के प्रकोपों को दूर करने के लिए अपने सीधे हाथ की मध्यमा ऊँगली में ददरान किया जाता है। ज्योतिष में गोमेद रत्न का बहुत प्रभाव है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में राहु के दोष उत्पन्न हो रहे हो उन जातकों को गोमेद धारण करने से बहुत शांति प्राप्त होती है।

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गोमेद धारण करने से राहु के प्रकोपों से मुक्ति मिलती है। राहु एक बहुत अनिष्टकारी ग्रह है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में राहु अशुभ है वे अपने जीवन में बहुत परेशानियों का सामना करते है। जीवन में केवल संघर्ष और मेहनत ही करते रह जाते है। उनकी आर्थिक स्तिथि बहुत ख़राब रहती है एक तरह से कह ले तो वे जीवन में मारे मारे घूमते रहते है और अपना मानसिक संतुलन भी खो देते है।

व्यापार में घाटा, ख़राब आर्थिक स्तिथि, अशांति, भटकाव, भ्रम, ख़राब और असाध्य बीमारी, पारिवारिक कलह, जादू टोने, नजर, भूत प्रेत की गिरफ्त में बहुत जल्दी आ जाना जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अगर आपकी कुंडली में राहु जनित दोष है तो आपको अपनी जन्म पत्रिका का विश्लेषण करके गोमेद जरूर धारण करना चाहिए।

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गोमेद भूरे, गहरे भूरे य काला सा पड़ता हुआ भूरा रंग गोमेद के असली रंग है। केवल इन्हीं रंगो के गोमेद रत्न को धारण किया जाना चाहिए। बल्कि जो गोमेद अधिक गहरा जो कुछ काला से पड़ता दिखलाई दे वह गोमेद राहु के दोषों को काटने वाला सबसे श्रेष्ठ गोमेद होता है। ऐसा गोमेद बहुत प्रभावशाली गोमेद होता है।

गोमेद कौन धारण करें

  • वृष, मिथुन, कन्या, तुला या कुम्भ राशि या लग्न के व्यक्तिओं को गोमेद धारण करने से लाभ होता है।
  • अगर राहु मिथुन राशि में अपनी उच्चतम अवस्था में प्रथम, तृतीये, पंचम, दशम या एकादश भाव में बैठा है तो गोमेद धारण से बहुत लाभ होता है।
  • राहु की महादशा में गोमेद रत्न धारण करने से लाभ होता है।

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  • राजनीती, कारख़ानों, ट्रांसपोर्ट, स्टॉक मार्किट, जुआ-सट्टा और तंत्र-मंत्र आदि जैसे क्षेत्रों से जुड़े लोगो को गोमेद धारण करने काफी लाभ हो सकता है।
  • गॉर्ड को कभी भी लाल मूंगा, मोती या माणिक्य के साथ धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा यह दुर्घटनाओं की स्तिथि बना सकता है।
  • कुंडली में कालसर्प दोष बन रहा हो तो गोमेद धारण से इसका प्रभाव कम होता है।
  • गोमेद तुरंत अपने बुरे प्रभाव प्रदान करता है इसलिए अच्छा यही होगा की गोमेद अपनी जन्म कुंडली के विश्लेषण के बाद ही धारण करें।

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असली गोमेद रत्न की पहचान क्या है?

  • असली गोमेद सुंदर भूरे या गोमूत्र का दिखता है, इसे देखने पर यह मनमोहक दिखता है। असली गोमेद में किसी भी तरह के बुलबुले नहीं दिखते।
  • गोमेद की खासियत यह है की अगर इसे 24 घंटो के लिए गोमूत्र में रख दिया जाये तो यह या तो फीका पड़ जाता है या इसका रंग बदल जाता है।
  • असली गोमेद को सूर्य के नीचे रखने के कुछ देर बाद बाद गोमेद के किनारे में एक गोल भूरे रंग का छल्ला दिखलाई देने लगता है।
  • सबसे श्रेष्ठ गोमेद वही होता है जिसका रंग बहुत खूबसूरत भूरा या गोमूत्र रंग का हो, साफसुथरा पारदर्शी हो।
  • जब भी हम किसी रत्न की जाँच या असली -नकली की बात करते है तो अपने अनुभव से परिक्षण की बात तो है ही लेकिन अगर पूर्ण संतुष्टि चाहिए तो सबसे अच्छा होता है उस रत्न की लैब परिक्षण करवाकर उसे सर्टिफाइड करवा लेना, क्योंकि किसी भी रत्न का इससे अच्छा प्रमाण और कोई नहीं हो सकता।

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