शनि देव

क्या आपको पता है देवताओं में शनि देव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। शनि ऐसे देवता है जिनकी पूजा लोग कुछ मांगने के लिए नहीं बल्कि उनके डर से करते है। शनि देव कर्म के देवता है और यही कारण है की शनि देव व्यक्ति के कर्मो के अनुसार उसको फल देते है।

इसका कारण यह है की शनि देव न्याय के देवता है। किसी का गलत करने से या जीवन में गलत कार्य करने से शनिदेव नाराज हो जाते है।

और इंसान को उनके अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार ही फल देते है।

इसी कारण शनि देव को इस कलयुग में न्याय करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है।

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शनि देव

नवग्रहों में शनि ग्रह जिनका स्थान सातवां है। इन्हें एक क्रूर ग्रह के रूप से जाना जाता है। शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी है। शनि एक राशि पर ढाई साल रहते है। जन्म कुंडली में shani dev की महादशा 19 वर्ष की रहती है और हर व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़े साती 3 बार आती है, जिसमें केवल भाग्यशाली व्यक्ति ही शनि की तीसरी साढ़े साती देखता है।

शनि देव से डरे नहीं, वह केवल बुरे कर्म करने वाले इंसानों को दंड देते है। shani dev न्याय करनेवाले देवता है। अगर आप किसी से धोखा नहीं करते, किसी को कष्ट नहीं देते, जुल्म नहीं करते, किसी गरीब या कर्मचारी पर कोई अत्याचार या जुल्म नहीं करते, बुरे कार्य नहीं करते, ऐसे व्यक्तियों को शनि कभी भी कष्ट नहीं देते है।

कौन है शनिदेव

शनि देव सूर्य और माता छाया (संवर्णा) के पुत्र है। shani dev का वर्ण काला और उनकी सवारी गिद्द है। शनि देव को क्रूर ग्रह माना है, ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार शनि ध्यान में थे और उनकी पत्नी दामिनी ने उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की लेकिन शनि देव अपने ध्यान में लीन रहे। यही देखकर उनकी पत्नी दामिनी को क्रोध आ गया और उन्होंने शनिदेव को श्राप दिया की वे जिसे भी अपनी टेढ़ी दृष्टि दे देखेंगे उसका सर्वनाश हो जायेगा।

शनि देव के क्रोध से मनुष्य,बड़े बड़े योगी, यक्ष, देव और दानव कोई नहीं बच पाया है। shani dev बहुत तेजस्वी देवता है अगर किसी पर प्रसन्न हो जाये तो उसे शीर्ष पर पंहुचा देते है वही अगर किसी पर कुपित हो जाये तो उसका सर्वनाश करने में समय नहीं लगाते।

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ज्योतिष में शनि देव

शनि देव कुंडली के तृतीय ,षष्ठ व एकादश भाव में अपने शुभ फल प्रदान करते है। जिसमें एकादश भाव में shani dev अपने सर्वाधिक शुभ फल प्रदान करते है। सप्तम भाव में भी शनि कारोबार को लेकर शुभ फल प्रदान करते है, लेकिन अगर shani dev सप्तम भाव में है और जातक अपनी पत्नी से छल करता है तो शनि अयोगकारक हो जाते है।

शनि तुला में होने से उच्च के हो जाते है और मेष राशि में रहने से नीच के हो जाते है। शनि की 3 दृष्टियां होती है, यह अपने भाव से तीसरे, सातवें और दसवें भाव पर अपनी दृष्टि डालते है।
शनि अपनी उच्च दृष्टि तुला राशि पर देते है और जब शनि की दृष्टि मेष राशि पर पड़ती है तो यह नीच की दृष्टि हो जाती है।

शनि की बुध और शुक्र से मित्रता है और सूर्य, चंद्रमा और मंगल से शत्रुता रखते है।

शनि को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

शनि देव की कृपा पाने के लिए गरीबों और जरुरतमंदो की सेवा और दान-पुण्य करना चाहिए। गरीबों को भोजन करने, उनको वस्त्र भेंट करने से shani dev की कृपा प्राप्त होती है।
shani dev की कृपा प्राप्त करने के लिए जीवन में कभी भी अपने से नीचे व्यक्ति को नुकसान ना पहुंचाए, किसी का पैसा ना खाएं, गलत कार्य ना करें, अपनी पत्नी से धोखा ना करें।

shani dev को आक का फूल बहुत पसंद है, शनिवार को शनि मंदिर जाकर सरसों तेल का दीपक जलाने और आक का फूल चढ़ाने से shani dev खुश होकर अपनी कृपा और आशीर्वाद प्रदान करते है।

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शनि ग्रह शांत करने के लिए क्या करना चाहिए?

अगर आपको लगता है की shani dev आपसे नाराज है या कुंडली में उनके अशुभ प्रभाव है तो आपको गरीब भिखारियों को भोजन करवाना चाहिए, हनुमान जी की आराधना करें, हर शनिवार शनि मंदिर जाकर उनकी पूजा अर्चना करें, शनिवार का व्रत रखें, शनि मंत्रों का जाप करें, शनि यंत्र गले में धारण करें।

शनि देव की सबसे प्रिय राशि कौन सी है?

तुला राशि में shani dev उच्च के होते है। तुला राशि में शनि अपने सबसे शुभ प्रभाव प्रदान करते है। तुला राशि में उच्च के होने की वजय से shani dev तुला लग्न के जातकों की कुंडली में बहुत शुभ प्रभाव देते है।

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