मेष लग्न में विवाह योग अच्छे बनते है, क्योंकि इनकी कुंडली में व्यवाह का स्वामी शुक्र बनता है और शुक्र विवाह और वैवाहिक जीवन का कारक है।
मेष लग्न
मेष लग्न के जातकों के स्वामी मंगल होते है। ये लोग आत्मविश्वासी, साहसी और उग्र होते है। मजबूत इरादों वाले और अपने जीवन में परिणामों की परवाह किये बगैर आगे बढ़ने में विश्वास रखते है।
मेष जातकों के लिए सूर्य, चंद्र और ब्रहस्पति शुभ लाभ देने वाले ग्रह है। शुक्र और बुध इनके लिए योगकारक नहीं है।
शनि इनके लिए ना बहुत शुभ है और ना ही अशुभ है। मेष लग्न के जातकों को लाल मूंगा, मणिक्य और मोती धारण करने से बहुत सफलता मिलती है।
इन्हें कभी भी हीरा, पन्ना, गोमेद और लहसुनियां धारण नहीं करना चाहिए। मेष जातक शनि का रत्न नीलम केवल शनि की महादशा में धारण कर सकते है लेकिन उसके साथ अन्य कोई रत्न धारण ना करें।
मेष लग्न में विवाह योग
मेष लग्न की कुंडली में शुक्र इनके वैवाहिक जीवन और विवाह का स्वामी बनता है, शुक्र तो मेल, संबंधो और शारीरिक सुख का ही स्वामी है। इसलिए मेष लग्न में विवाह योग अधिकतर सफल और सुखमय ही बनते है। मेष लग्न की कुंडली में शुक्र अधिकतर भावों में शुभ ही रहते है इसलिए अधिकतर मेष जातकों के जीवन में विवाह और वैवाहिक सुख अच्छा ही होता है।
अगर मेष लग्न के लिए अच्छी जोड़ी की बात की जाये तो सिंह और धनु लग्न के जातकों के साथ इनकी अच्छी बनती है। लेकिन फिर भी यह कुंडली में शुक्र की स्तिथि के ऊपर ही निर्भर रहता है। आइये जानते है की मेष लग्न के जातकों के जीवन में शुक्र की किन स्तिथियों में वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है।
मेष लग्न में विवाह योग शुक्र अनुसार
मेष लग्न की कुंडली है और शुक्र प्रथम भाव में बैठा है तो वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय होगा, पति पत्नी अपने जीवन में पूर्ण वैवाहिक जीवन का आनंद उठाएंगे। शुक्र के प्रथम भाव में होने से शुक्र की दृष्टि सप्तम भाव पर रहेगी जो पति पत्नी को वैवाहिक जीवन का पूर्ण सुख और संतुष्टि प्रदान करेगा।
अगर मेष लग्न में शुक्र दूसरे भाव में अपनी ही वृष राशि में होगा तो पत्नी या पति बहुत धनवान और सुन्दर होगी, जातक अपने जीवन साथी से पूर्ण सुख और संतुष्टि प्राप्त करेगा। उनका वैवाहिक जीवन बहुत खुशहाल और सुखी होगा।
अगर मेष लग्न की कुंडली में शुक्र तीसरे स्थान पर बुध की मिथुन राशि में होगा तब भी विवाह और वैवाहिक जीवन बहुत खूबसूरत होगा। दोनों पूर्ण वैवाहिक जीवन और सुख का आनन्द लेंगे।
मेष लग्न की कुंडली हो और शुक्र चतुर्थ भाव में हो तब भी शुक्र के अच्छे फल मिलते है, घर में आनंद रहता है, विवाह अच्छी जगह और शुभ होता है, वैवाहिक जीवन बहुत आनंदित होता है। जीवनसाथी अच्छे बड़े घरों और वाहनों का किस्मती होता है।
मेष लग्न के पांचवे भाव में शुक्र सूर्य की सिंह राशि में होने से कुछ वैवाहिक परेशानियां उतपन्न करता है, जातक अपने प्रेमी के साथ भाग जाता है। विवाह कर लेता है और उसका वैवाहिक जीवन मिलाजुला खुशहाल रहता है।
अगर मेष लग्न में शुक्र छठे भाव में बेथ जाये तो यह स्तिथि विवाह और वैवाहिक जीवन के लिए बिलकुल अच्छी नहीं होती। एक तो विवाह होने में बहुत परेशानी होती है अगर हो भी जाये तो आपस में बनती नहीं है और कोर्ट कचेरी भी हो जाती है। जातक को सेक्स प्रॉब्लम भी होती है।
मेष लग्न में शुक्र जब अष्ठम भाव में होता है तब भी रिश्ते होने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, विवाह होने के बाद भी वैवाहिक जीवन समझोतों वाला हो सकता है।
मेष लग्न में जब शुक्र नवम भाव में होता है तो जीवनसाथी बहुत भाग्यशाली होता है, जीवनसाथी से सम्पूर्ण सुख और खुशियां प्राप्त होती है। सुखी और खुशहाल वैवाहिक जीवन होता है।
मेष लग्न में दशम भाव में शुक्र होगा तो सुन्दर विवाह होगा, जीवनसाथी समृद्ध होगा, नौकरीवाला होगा, सुखी वैवाहिक जीवन होगा और पूर्ण वैवाहिक सुख प्राप्त होंगे।
मेष लग्न की कुंडली में अगर शुक्र गयारहवें भाव में होगा तब भी सुन्दर विवाह और पूर्ण वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होगी। जीवनसाथी बहुत भाग्यशाली होगा और विवाह के बाद बहुत उनत्ति और तरक्की होगी।
मेष लग्न की कुंडली में अगर शुक्र बारहवें भाव में होगा तो विवाह थोड़ी देर से होगा, जीवनसाथी दूर प्रदेश का होगा, वैवाहिक जीवन बहुत सुखी होगा।
निष्कर्ष
मेष लग्न में विवाह योग की इस पोस्ट में आपने जाना की मेष लग्न की कुंडली में किन अलग अलग स्तिथियों में विवाह के योग और वैवाहिक जीवन की खुशियां रहती है। अधिकतर मामलों में मेष लग्न में विवाह योग खूबसूरत और खुशहाल ही बनते है, 1-2 स्तिथियों को छोड़कर। उम्मीद है की आपको पोस्ट पसंद आई होगी। धन्यवाद!