कुल- देवी और देवता का महत्त्व और जानकारी

कुल- देवी और देवता का महत्त्व

हमारे देश में जाति, समाज, कुल देवी देवता और पितृदेव का बहुत महत्त्व है और प्राचीन काल से ही कुल- देवी और देवता के पूजन का बहुत महत्त्व रहा है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य है जिसे कम ही लोग जानते है। आइये आज यही जानकारी प्राप्त करते है की सभी जातियों के कुल कुल- देवी और देवता का महत्त्व और जानकारी अलग अलग क्यों होते है और इनके पूजन का इतना महत्व क्यों होता है।

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घर में जब भी कोई मांगलिक कार्य संपन्न होने वाला होता है जैसे की विवाह, जन्म, पूजा या अन्य कोई भी शुभ कार्य तब कुल देवी – देवता के स्थान पर जाकर उनका पूजन किया जाता है।
इसके अलावा साल में एक बार ऐसा भी होता है की संबंधित कुल के लोग अपने कुलदेवी – देवता के स्थान पर जाकर पूजा करते ह

ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें यह भी नहीं पता की उनके कुल देवी – देवता कौन है। ऐसा समझ ले की ऐसे लोग अपने कुल की जड़ों से कट चुके है।

हर समाज के कुल देवी और देवता अलग होते है। इसका स्वाभाविक सा उत्तर होगा की जब हर व्यक्ति का समाज और कुल भिन्न है तो उसके कुल देवी और देवता भी अलग अलग ही होंगे। पुराने समय में अपने अपने कुल को एक निश्चित स्थान पर इक्कठा किया जाता था और वहीं अपने कुल देवी और देवता का स्थान नियुक्त किया जाता था। यह स्थान उस कुल के वंशजों का मूल स्थान होता था।

कुल- देवी और देवता का महत्व

अपने कुल के स्थान का महत्त्व ऐसा है की मान लें आप महाराष्ट्र में रहते है और आपके कुल देवी और देवता का स्थान राजस्थान में है। तो आपको राजस्थान जाकर अपने कुल देवी और देवता का पूजन करना होता है और आप उस स्थान पर अपने कुल के लोगों से मिल भी सकते है क्योंकि उस स्थान पर केवल आपके कुल के ही लोग उपस्थित होंगे।

वहां मिलने वाले हजारों लोग केवल आपके कुल के और वंशज ही होंगे। आजकल देश में कई ऐसे कुल देवी और देवता के स्थान भी है जो बहुत प्रसिद्ध हो चुके है और वहां दूसरे कुल के लोग भी दर्शन करने और अपनी मनत्तें पूरी करने आते है।

हमारे पूर्वजों ने किसी समय में कुल देवी और देवता का कोई स्थान जरूर बनाया होगा, कुल देवी और देवता की मूर्ति भी स्थापित की होगी। कुल देवी – देवता के इस मंदिर में कुल के सभी लोग इक्कठा होते है, जहां से वे अपने समाज और कुल के लोगों से जुड़े रहते है।
कुल और देवी – देवता के मंदिर इसलिए बनाए जाते थे की कुल के लोग अपने कुल औरदेवी – देवता से जुड़े रहे और अपनी जाति के लोगों से भी जुड़े रहे। यह एक ऐसा स्थान होता है जहां कुल के बिखरे लोग इकट्टा हो सकते है।

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पुराने समय में कुल देवी मंदिर में पोथी हुआ करती थी। जिसमें लोग अपने नाम, पता और गोत्र दर्ज करवाया करते थे। इससे यह लाभ होता था की लोगों को अपने कुल वंशजों के नाम भी मालूम हो जाया करते थे। लोग अपने वंशजों के बारे में जान सकते थे और अपने कुल के सदस्यों से मिल सकते है।

कुल देवी और देवता के मंदिर हमारे पूर्वजों और वंशजों से जुड़े होते है। कुल देवी और देवता के मंदिर वर्तमान में हमारे खानदान के उन लोगों से भी जोड़ते है जिन्हें हम अभी तक जानते भी नहीं है। कुल देवी और देवता के मंदिर से हम हमारे वंशजों से जुड़े रहते है। कुल देवी और देवता के पूजन से हम हमारे पूर्वजों का ढेर सारा आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। यही कारण है की कुल-देवी और देवता को पूजने का इतना महत्त्व है।

कुल-देवी या देवता हमारे वंश के रक्षक होते है। ये हमारे घर परिवार के प्रथम पूज्य देवी देवता होते है। यह हमारे लिए घर के बड़े बुजुर्ग होते है। इन्हें हर मांगलिक कार्य और त्योहारों में याद करना बहुत जरुरी होता है। इन्हें कभी भी रुष्ट नहीं करना चाहिए। अगर ये रुष्ट हो जाए तो घर परिवार की बहुत हानि होती है और केवल हनुमानजी के अलावा इनके गुस्से को कोई भी देवी देवता इन्हें शांत नहीं कर सकता।

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आज ऐसे बहुत से परिवार है जिन्हें अपने कुल – देवी देवता के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसलिए उन्होंने अपने कुल – देवी देवता के मंदिर जाना तो दूर, उनकी पूजा करनी तक छोड़ दी है।

ऐसा देखा गया है की कुल और देवी देवता की पूजा छोड़ने के कुछ वर्षो बाद उनका सुरक्षा घेरा कम होता चला जाता है और फिर घर परिवार में घटनाओं और दुर्घटनाओं का घटना शुरू होने लगता है। जीवन में कष्ट ,परेशानियां और संघर्ष शुरू हो जाते है, उन्नति रुक जाती है, घर में कलेश होने लगते है, आर्थिक स्तिथि बहुत ख़राब होती चली जाती है, कुंवारे बच्चों के विवाह में अड़चने आने लगती है यहाँ तक की वंश भी बढ़ना रुक जाता है।

हमारे पूर्वज हमें बराबर देख रहे है। अगर आपको अपने कुल और देवी देवता के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो आपको अपने किसी बड़े-बुजुर्गों, रिश्तेदारों या पंडितों से इसकी जानकारी लेनी चाहिए। अपने कुल और देवी देवता का सम्मान, पूजन और उन्हें याद करके उनका भरपूर आशीर्वाद लेना चाहिए।

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