मेष लग्न में शनि शुभ भावों के स्वामी होने से शनि के शुभ प्रभाव ही देखने को मिलते है, फिर भी यह शनि की स्तिथि पर निर्भर है, आइये जाने मेष लग्न में शनि का फल
मेष लग्न में शनि का फल
मेष लग्न में शनि दशम और एकादश भाव के स्वामी होते है यानि की मेष जातकों के जीवन के कारोबार, नौकरी, प्रसिद्धि और लाभ के स्वामी। मेष लग्न में शनि परम योगकारक होते है।
अगर मेष लग्न में शनि शुभ स्थान में विराजमान है। तो जातक शनि की महादशा में बहुत उनत्ति और तरक्की करता है। अगर मेष लग्न में शनि द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, नवम, दशम या एकादश भाव में विराजमान है तो जातक शनि की महादशा में बहुत उनत्ति करते हुए धन लाभ कमाता है।
अगर मेष लग्न में शनि और ब्रहस्पति की युति केंद्र या त्रिकोण में हो तो जातक अत्यंत ज्ञानी होता है।
मेष लग्न में शनि का फल शनि किस भाव में विराजमान है उसी के आधार पर निर्भर रहता है, लग्न कुंडली के 12 भावों में से शनि किसी भी भाव में विराजमान हो सकते है, इसलिए हर भाव में शनि के अलग अलग प्रभाव प्राप्त होंगे जो की शुभ भी हो सकते है, सामान्य भी और अशुभ भी। आइये विस्तार से जानते है की शनि किस भाव में होने से लाभकारी होंगे और किस में नहीं।
मेष लग्न में शनि
प्रथम भाव में शनि – मेष लग्न की कुंडली हो और शनि प्रथम भाव में बैठे है तो यहां शनि नीच के हो जायेंगे। अब क्या करें यह स्तिथि को जातक को काम में आलसी, कारोबार नौकरी में संघर्ष उत्पन्न कराएगा। ऐसे में शनि के उपाय करने जरुरी होंगे जिससे की कारोबार, नौकरी और लाभ में कोई परेशानी ना आये।
दूसरे भाव में शनि – मेष लग्न की कुंडली में अगर शनि दूसरे भाव में है तो जातक घर से दूर प्राइवेट संस्थानों से जुड़ता है और धन कमाता है, यह स्तिथि लाभकारी है। जातक का दूसरा विवाह भी हो सकता है।
तीसरे भाव में शनि – मेष लग्न की कुंडली में अगर शनि तीसरे भाव में विराजमान है तो यह लाभकारी होते है। जातक परिश्रमी होता है और प्राइवेट कंपनी के साथ जुड़कर या अपना खुद के निजी कार्यों से धन कमाता है।
चौथे भाव में शनि – मेष लग्न की कुंडली के चौथे भाव में शनि कर्क राशि में होता है, जो साधारण शुभ होता है, जातक जीवन में घर मकान का सुख भोगता है, जातक की माता को शारीरिक बीमारियां रहती है। यहां से शनि की दृष्टि दशम भाव पर अपनी ही राशि पर रहती है जो व्यापार, कारोबार और नौकरी के लिए बहुत लाभकारी रहती है।
पंचम भाव में शनि – मेष लग्न की कुंडली में शनि पंचम भाव में सूर्य की सिंह राशि में होते है। जो जातक को व्यापार नौकरी में संघर्ष करवाते है, जातक को अपनी आजीविका और धन कमाने के लिए बहुत परिश्रम करते हुए धन कमाना पड़ता है। अधिक मेहनत और कम लाभ वाली स्तिथि हो सकती है। यहां जातक को अपनी संतान के लिए भी काफी खर्च करने पड़ सकते है।
छठे भाव में शनि – मेष लग्न की कुंडली में शनि छठे भाव में कन्या राशि में विराजमान होते है, जो जातक को कर्ज और लोन लेकर कारोबार करवाते है, जातक लोन लेकर अपने व्यापार- कारोबार को बढ़ाता है। जातक सरकारी नौकरी में भी पदस्थ हो सकता है। जातक अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करता है, कोर्ट कचेहरी के मामलों में उसकी जीत होती है।
सप्तम भाव में शनि – मेष लग्न में शनि अपनी उच्च की स्तिथि यानि की तुला राशि में होते है। जो शश योग का निर्माण करता है। जातक सुखी वैवाहिक जीवन जीता है, उनत्ति करता है,नौकरी या कारोबार में बहुत तरक्की करते हुए धन लाभ कमाता है।
अष्ठम भाव में शनि – मेष लग्न में अष्ठम भाव में शनि वृश्चिक राशि में होता है। जातक अपने कारोबार या नौकरी से संतुष्ट नहीं होता। उसका कारोबार नौकरी स्थाई नहीं होते, उसे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। धन का नुकसान होता है, उसे शारीरिक रोग या हड्डी रोग हो सकते है, उसे किसी भी प्रकार की दुर्घटना से सावधान रहना चाहिए।
नवम भाव में शनि – मेष लग्न में शनि नवम भाव में भाग्यवान होते है, नौकरी और कारोबार में व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है, वह कम मेहनत करके अधिक धन लाभ कमाता है। जातक धार्मिक होता है और बहुत सी धार्मिक यात्राएं करता है। जीवन के सभी सुखों का भोग करने वाला होता है।
दशम भाव में शनि – मेष लग्न में दशम भाव में शनि कारोबार और नौकरी में बहुत तरक्की देता है। जातक जीवन में कोई बड़ा कार्य करता है और धन कमाता है, जातक राजनीती से जुड़ा हुआ भी हो सकता है। जातक के पिता को कष्ट हो सकते है।
ग्यारवें भाव में शनि – मेष लग्न के ग्यारवें भाव में शनि खूब उनत्ति, तरक्की और लाभ देता है। जातक एक सफल जीवन जीता है। जातक के पास जीवन में सभी सुख सुविधाएं होती है।
बारहवें भाव में शनि – मेष लग्न में अगर शनि बारहवें भाव में है तो जातक का कारोबार नहीं चलता। जातक का कारोबार में धन लगता चला जाता है लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती।
अगर जातक को सफल होना है और धन कमाना है तो उसे अपने जन्म स्थान से दूर दूसरे शहर में या विदेश में जाकर कारोबार या नौकरी करनी होगी। सफलता। मिलेगी
मेष लग्न में शनि का रत्न धारण
क्या मेष लग्न वाले जातक शनि का रत्न नीलम धारण कर सकते है। जवाब है नहीं ! मेष जातकों को नीलम धारण नहीं करना चाहिए, नीलम धारण करने से उन्हें जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती है।
मेष लग्न वाले केवल शनि की महादशा में नीलम धारण करके देख सकते है, अगर उन्हें ऐसा लगता है की उन्हें लाभ हो रहा है तो नीलम शनि दशा में धारण करें।