वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है: Scorpio Rashi

12 राशियों में से एक राशि वृश्चिक है जो एक भावुक, उत्तेजित और परिश्रमी राशि है आइये जानते है की वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है।

वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है

आठवीं राशि वृश्चिक जिसका निशान बिच्छू है यह एक जलतत्व राशि है। इस राशि के स्वामी मंगल है। मंगल देव 2 राशियों पर अपना अधिकार रखते है प्रथम है मेष और दूसरी है वृश्चिक।

  • वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है: मंगल देव

वृश्चिक मंगल की राशि होने की वजय से वृश्चिक जातकों पर पूरी तरह से मंगल के प्रभाव देखने को मिलते है। मंगल प्रधान व्यक्ति बहुत आक्रामक, दिलेर, निडर, मजबूत मनोबल और परिश्रम करने वाले होते है। ठीक ऐसे ही गुण वृश्चिक राशि जातकों के देखने को मिलते है।
लेकिन इसके लिए उनकी कुंडली में मंगल शुभ होना चाहिए और मंगल पर किसी अशुभ ग्रह या शनि-राहु की दृष्टि नहीं होनी चाहिए, अन्यथा मंगल कमजोर पड़ जायेगा और इसके बताये गए सभी प्रभाव उल्टे हो जायेंगे।

अगर आप भी वृश्चिक राशि वाले है और आपकी कुंडली में मंगल शुभ और बलवान है तो आप बहुत दिलेर और परिश्रमी व्यक्ति होंगे। वृश्चिक जातक माध्यम कद और गठे हुए बदन के होते है, इनमें अच्छा आकर्षण होता है। भावुकता इन लोगों की सबसे बड़ी कमी होती है जिसकी वजय से बहुत से लोग इनका फायदा उठाते है। वृश्चिक जातक किसी भी काम को बड़ी लगन और तरीके से करते है, इन्हें काम चलने वाला काम बिलकुल पसंद नहीं आता। अगर ये किसी के साथ मिलकर काम करते है तो ये अपने साथ वाले को बैठने नहीं देते। गलत काम या कोई आलास करता है तो उसपर नाराज होने में बिलकुल समय नहीं लगाते।

इनकी आदत होती है की ये घर परिवार के साथ बैठे हो या अपने दोस्तों के साथ अगर इनके आसपास कोई गलत बात करेगा तो यह उसे तुरंत टोक देते है, साफ और स्पष्ट बात किसी के भी मुंह पर बोल देते है या उनकी खिल्ली भी उड़ा देते है, जो लोगों को बिलकुल पसंद नहीं आता और अंदर ही अंदर इनसे चिड़ने लगते है और फिर इनको नीचा दिखाने की ताक में लग जाते है।

मंगल एक साफ-सच्चा, छाती तान के खड़े रहने वाला और सेनापति ग्रह है जिसके प्रभाव वृश्चिक जातकों में रहते है और इनका ऐसा व्यक्तित्व ही इनके जीवन में बहुत से दुश्मन पैदा कर देता है।

मंगल ग्रह

जैसा की आपको बताया की मंगल वृश्चिक राशि के स्वामी है। मंगल लाल, गर्म, शासन करनेवाला, गुस्सैल, लड़ाकू, साहसी और परिश्रमी ग्रह है। मंगल ग्रहों का सेनापति है, इसी लिए मंगल प्रधान व्यक्ति, सर्जन डॉक्टर, पुलिस, प्रशासन, सेना, अग्निविभाग और ऐसे विभाग जो देश सेवा से जुड़े हुए हो या फिर ऐसे कार्य जिनमें जान का जोखिम रहता हो मंगल ऐसे ही व्यक्तियों के अंदर रहता है।

मंगल भूमि का भी अधिपत्य रखता है, जिनका मंगल श्रेष्ठ होता है, वह जातक जमीन-संपत्ति से बहुत धन कमाते है, मंगल प्रधान व्यक्ति मेडिकल और हॉस्पिटल के कार्यो से भी जुड़े रहते है, जो व्यक्ति बड़े होटलों और रेस्टॉरंट से धन कमाते है उनका मंगल भी बहुत श्रेष्ठ होता है। जो व्यक्ति बड़ा सत्संग करने वाले और प्रवचन देने वाले होते है उनका मंगल भी बहुत उच्च का होता है।

लेकिन मंगल विवाह और वैवाहिक जीवन के लिए बिलकुल शुभ नहीं माना जाता है। मंगल द्वारा ही कुंडली में मांगलिक योग का निर्माण होता है, जिसकी वजय से शादी में देर या शादी नहीं होने जैसे योग भी बनते है। अगर मंगल सप्तम भाव जो की विवाह भाव रहता है उसमें बैठ जाये तो शादी में अड़चने या शादी नहीं हो पाना जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मंगल का दूसरा अशुभ योग जिसे अंगारक योग के नाम से जाना जाता है, यह योग भी कुंडली में बनना बहुत अशुभ है। इस योग से व्यक्ति को जीवन में बहुत कष्टों और संघर्षों का सामना करना पड़ता है।

कुंडली में अगर मंगल बलहीन या अशुभ हो जाये तो कारोबार में नुकसान और रक्त की बीमारी, ओप्रशन, हार्ट का रोग, पेट के रोगों, चर्म रोग का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे है मंगल के प्रभाव, यह प्रभाव वृश्चिक राशि वाले जातकों को अपनी कुंडली में मंगल की स्तिथि के अनुसार भोगना पड़ता है।

मंगल के उपाय

अगर वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में मंगल कमजोर या अशुभ है तो उन्हें हनुमान जी की सेवा करनी चाहिए, नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। रोज सुबह मंगल मन्त्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का जाप करना चाहिए। साथ ही कमजोर मंगल के लिए लाल मूंगा जरूर धारण करना चाहिए।
मूंगा धारण करने से वृश्चिक जातकों को मंगल की ऊर्जा की प्राप्ति होगी। मनोबल बढ़ेगा, दुश्मन ख़त्म होंगे, कारोबार में सफलता मिलेगी, कर्ज ख़त्म होगा, संपत्ति बढ़ेगी और स्वास्थय और मनोबल बहुत अच्छा रहेगा।

FAQ…People also ask

वृश्चिक राशि वालों को कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए?

वृश्चिक राशि वालों को हनुमान जी की पूजा रोज करनी चाहिए, रोज नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए, मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में सरसों तेल का दीप जलाना चाहिए।

वृश्चिक राशि का देवता कौन सा है?

वृश्चिक राशि के देवता मंगल है और पूजनीय भगवान हनुमान जी है। वृश्चिक राशि के जातकों को कभी भी मंगल देव की पूजा, मंत्रों और हनुमान जी की सेवा करना नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से इन लोगों के जीवन में कभी भी कष्ट नहीं आएंगे।

वृश्चिक राशि का गुरु कौन होता है?

वृश्चिक राशि जिनके स्वामी मंगल है और मंगल के मित्र ग्रह बृहस्पति और चंद्र है, इसलिए वृश्चिक जातकों के लिए चंद्र और बृहस्पति गुरु समान है।

वृश्चिक राशि को कौन सा व्रत रखना चाहिए?

वृश्चिक जातकों को हनुमान जी की पूजा अर्चना और मंगलवार का व्रत रखना चाहिए। ऐसा करने से वृश्चिक जातक जीवन में बहुत उनत्ति और तरक्की करते है और कोई भी दुश्मन उनका कभी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

वृश्चिक राशि का शुभ रंग कौन सा है?

लाल और केसरिया रंग वृश्चिक जातकों के लिए सबसे शुभ रंग होता है।

निष्कर्ष

साथियों इस पोस्ट ‘वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है’ में हमने आपको बड़े आसान शब्दों में वृश्चिक राशि का स्वामी कौन है के बारे में जानकारी प्रदान करने की कोशिश की, उम्मीद है की आपको पोस्ट पसंद आई होगी, कमैंट्स में बताईयेगा। धन्यवाद!

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