Mangal Dosh Remedies: मंगल दोष और मांगलिक दोष के निवारण हेतु उपाय करने इसलिए जरुरी हो जाते है क्योंकि यह योग विवाह में बाधा उत्पन्न करता है जिसका निवारण करना जरुरी होता है अन्यथा विवाह में तो विलंभ होगा ही साथ ही वैवाहिक जीवन में भी सुखों का नाश होगा। आइये जानते है की मांगलिक दोष के निवारण हेतु उपाय करके कैसे विवाह और वैवाहिक जीवन के कष्टों को दूर किया जाये।
मांगलिक दोष के निवारण हेतु उपाय
किसी भी स्त्री और पुरुष के जीवन में विवाह का बहुत महत्त्व है। भारतीय संस्कृति में विवाह एक ऐसा संस्कार है जिसकी सम्पन्ता से समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति की जा सकती है। समस्त धार्मिक और सामजिक कार्यों को पूर्ण करने के लिए जीवन साथी की उपस्थिति अनिवार्य है। विवाह ही एकमात्र माध्यम है जिससे समस्त वैदिक ऋणों को उतारा जा सकता है। वंश को आगे बढ़ाने में और श्राद्ध द्वारा पूर्वजों की संतुष्टि भी विवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है।
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति अपनी शिक्षा, करियर और रोजगार के चक्कर में प्राय विवाह में विलंभ कर बैठता है और जब विवाह में अत्यधिक विलंभ हो जाता है तो यह चिंता का विषय बन जाता है, विवाह में परेशानियां आनी शुरू हो जाती है। अच्छा वर-वधु मिलना मुश्किल होने लगता है, रिश्ता तय होने के बाद भी टूट जाता है। जन्म पत्रिका में निर्मित अशुभ योगों की वजय से विवाह होना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर विवाह हो भी जाता है तो कुछ ही समय में अलगाव की स्तिथियां भी बनने लगती है और तलाक तक की नौबत आ जाती है। इस प्रकार की स्तिथि जातक के लिए बुरी मानसिक स्तिथि का कारण बनने लगती है।
आइये जानते है विवाह सम्बंधित इन्हीं समस्याओं के उपायों के बारे में जिन्हें अपनाकर वैवाहिक व्यवधानों को दूर किया जा सकें।
मंगल दोष निवारण
अधिकांश कुंडलियों में मांगलिक दोष की वजय से विवाह ने व्यवधान उत्पन्न होते है और विवाह के योग नहीं बन पाते। वर-वधु तलाशने में कोई न कोई कमी निकलती रहती है और विवाह का समय निकल जाता है। जन्म कुंडली में जब मंगल की उपस्थिति 1, 4,7, 8,12 में से किसी एक भाव में होती है तो यह मांगलिक योग का निर्माण करती है। कुंडली में मांगलिक योग बनने से विवाह में व्यवधान और विलंभ होता है। अगर विवाह हो भी जाये तो वैवाहिक जीवम कटुता पूर्ण होता है। इसी मंगल दोष को कम करने के लिए उपाय करने जरुरी हो जाते है। जब मंगल जनित इन दोषों की कमी होती है तो विवाह बाधा ख़त्म होती है और सुखमय विवाहित जीवन प्राप्त होता है।
कुंडली जनित मंगल दोष को दूर करने के लिए मंगल कवच का पाठ और मंगल यंत्र की पूजा करनी होती है। इस पूजा और कवच पाठ को नियमित 21 मंगलवार को करना होता है।
मंगल कवच पूजन विधि
शुक्ल पक्ष में मंगलवार को सुबह स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें। अब स्क्रीन पर दिखाए गए मंगल यंत्र का अष्टगंध से अनार की कलम से भोजपत्र पर बना लें या फिर बना बनाया बाजार से ले लें। यंत्र को पंचामृत से शुद्ध कर लें।
अब एक लकड़ी का पट्टा ले और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछा लें। उस लाल वस्त्र पर मंगल यंत्र को स्थापित कर दें और हाथ जोड़कर मंगल देव का स्मरण करें और संकल्प ले की मै (अपना नाम), पिता का नाम, गौत्र और निवास स्थान का नाम लेकर बोलें की “मै विवाह में आने वाली बाधा और विलंब को दूर करने के लिए मंगल कवच पाठ की पूजा 21 मंगलवार करूँगा या करुँगी।
इसलिए हे मंगल देव मेरी कामना शीध्र पूरी करें। ऐसा संकल्प लेने के बाद मंगल यंत्र की लाल चन्दन से तिलक करें और उसपर सात बार कलावा लपेटे। उसके बाद एक दीपक जलाये। पुष्प अर्पित करें, धूप- अगरबत्ती जलाये, भोग के लिए मिठाई रखें। इसके बाद मंगल देव का स्मरण करके पाठ करने के लिए लाल आसान पर बैठे। मंगल देव का स्मरण करके पाठ करें।
विनियोग :
अस्य श्री अंगारक-कवच स्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः अनुष्टुप छन्दः अंगारको देवता भौम प्रीत्यर्थ जपे विनियोगः ।
ध्यान : हे मंगल देव, भूमि पुत्र, अमंगल को मंगल करनेवाले कल्याणकारी मंगल देव मेरा प्रणाम स्वीकार करें और मेरे विवाह में आने वाली हर बाधा को अतिशीघ्र दूर करें और मुझे सुखी वैवाहिक जीवन प्रदान करें।
कवच पाठ :
रक्ताम्बरों रक्तवपुः किरीट चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।
धरा सुतः शक्ति धरहून शूली सदाममस्याद वरदः प्रशान्त ॥1 ॥
अंगारक ! शिरो रक्षेन मुखं वै धरणीसुतः ।
श्रुवौ रक्ताम्बरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥2 ॥
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।
भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्ति धरस्तथा ॥3 ॥
वक्षः पातु वरांगह्नश्चै हृदयं पातु रोहितः ।
कटि मे ग्रह राजश्च मुखं चैव धरासुत ॥4॥
जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।
सर्वाण्यन्यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे मेष वाहनः ॥5 ॥
य इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।
भूत-प्रेत पिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम ॥6 ॥
सर्वरोग हरं चैव सर्वसम्प्रत्प्रदं शुभम,
भुक्ति-मुक्ति प्रदं नृणां सर्व सौभाग्य वर्द्धनम् ।
रोगबन्धविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशय ॥7 ॥
कवच पाठ करने के बाद रुद्राक्ष या लाल चन्दन की माला से 108 बार “ॐ अंगारकाय नमः” का जाप करें। जाप करने के बाद हाथ जोड़कर मंगल देव को प्रणाम करें और मंगल यंत्र को पूजा स्थल पर रख दें। सबको प्रसाद दें। इस प्रकार 21 मंगलवार इस कवच पाठ का पूजन करें। ऐसा करने से विवाह में आने वाली सभी बाधाएं अतिशीघ्र ख़त्म होंगी।