आज हम बात करेंगे १२ लग्नों के अनुसार माणिक रत्न के लाभ, सूर्य किस लग्न में क्या नफा नुकसान देता है, और किस लग्न के जातक माणिक्य धारण कर सकते है।
सूर्य ग्रह
सूर्य सभी ग्रहों का राजा है, किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है, सूर्य व्यक्ति को मान सम्मान देने वाला होता है, आर्थिक उनत्ति, संतान सुख और व्यक्ति को जीवन में शीर्ष स्थान पर रखने वाला होता है।
इसलिए किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य का शुभ होना अति आवश्यक है, लेकिन हर व्यक्ति अपनी किस्मत अपना जन्म होते ही प्राप्त कर लेता है, जो भाग्य ने लिख दिया उसी अनुसार अपना जीवन भोगता है।
जन्मपत्रिका में १२ लग्नों में स्थिति अनुसार माणिक रत्न के लाभ एवं हानि
मेष लग्न की कुंडली में सूर्य
मेष लग्न की कुंडली में सूर्य पंचम भाव का स्वामी होता है। सूर्य इस भाव का स्वामी होने से संतान सुख में वृद्धि करता है, धन लाभ के लिए भी लाभकारी रहता है, और विध्या प्राप्ति के लिए भी योगकारक रहता है, इसलिए मेष लग्न के जातकों को माणिक्य धारण करना शुभ रहता है।
वृष लग्न की कुंडली में सूर्य
वृष लग्न की जन्मपत्रिका में सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी बनता है, चतुर्थ स्थान केंद्र स्थान होता है, इसलिए सूर्य यहाँ का मालिक होने से शुभ लाभ देने वाला हो जाता है,
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चतुर्थ भाव जमीन, घर, सम्पत्ति, जायदात, वाहन और सुख का होता है, इसलिए चतुर्थेश सूर्य अगर शुभ स्थान में है, तो बहुत लाभकारी होता है,
वृष लग्न के जातक सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण कर सकते है, अन्यथा ज्योतिषीय परामर्श के अनुसार माणिक्य धारण कर सकते है।
मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य
मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य तृतीय भाव का स्वामी बना, तृतीय भाव पराक्रम और परिश्रम का होता है और सूर्य एक राजा ग्रह है,
इसलिए अगर सूर्य अगर शुभ भावों में होगा तो जातक अदभुत पराक्रमी होगा, उसमे पराक्रम की असीम क्षमता होगी, वह बड़े बड़े कामों को अंजाम देने वाला होगा।
ऐसे जातकों को माणिक्य धारण करने से बहुत कामयाबी प्राप्त होती है, उनके लिए माणिक्य धारण करना बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
कर्क लग्न की कुंडली में सूर्य
कर्क लग्न की जन्मपत्रिका में सूर्य द्वितीय भाव का स्वामी बनता है, द्वितीय भाव शासन, योग्यता और धन का स्थान है, साथ ही द्वितीय स्थान विध्या का भी स्थान है,
इसलिए विध्या प्राप्ति, धन लाभ, प्रमोशन, प्राइवेट संस्थानों में उच्च पद के लिए माणिक्य धारण करना लाभकारी रहता है।
सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य
सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य लग्नपति होता है, अर्थात सूर्य लग्नेश होता है। सूर्य लग्नपति होने से जातक की सूर्य दीर्घ आयु प्रदान करता है,
सिंह लग्न के जातकों को माणिक्य निरोग शरीर देता है, धन धन्य से परिपूर्ण करता है, पारिवारिक खुशहाली, सामाजिक सम्मान, और जीवन में उनत्ति और तरक्की प्रदान करता है,
सिंह लग्न के जातकों को माणिक्य ताउम्र माणिक्य धारण करना चाहिए।
कन्या लग्न की कुंडली में सूर्य
कन्या लग्न की कुंडली में सूर्य बारहवें भाव का नेतृत्व करता है, बारहवां भाव खर्चो और व्यय का है, शारीरिक अस्वस्थता का है,
कन्या लग्न के जातकों के लिए सूर्य शुभ नहीं है, खर्चे और परेशानियों में डालने वाला ही है, अपव्यय होगा और शरीर अस्वस्थ रहेगा, इसलिए कन्या लग्न के जातकों को माणिक्य कभी भी धारण नहीं करना चाहिए।
तुला लग्न की कुंडली में सूर्य
तुला लग्न की कुंडली में सूर्य ग्यारहवें भाव यानी लाभ भाव का नेतृत्व करता है, ग्यारहवें भाव को आमदनी का भाव भी बोला जाता है,
अगर सूर्य कुंडली में शुभ भावों में विराजमान है, तभी माणिक्य धारण करना शुभ हो सकता है,
इसलिए सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण करना लाभकारी हो सकता है , इसके आलावा किसी ज्योतिष विशेषज्ञ की राय से ही माणिक्य धारण करना उचित होगा।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में सूर्य
वृश्चिक लग्न की कुंडली में सूर्य दशम भाव का नेतृत्व करता है, दशम भाव मतलब कर्म, राजनीती , सरकारी संसथान, कारोबार और नौकरी,
अगर सूर्य लग्न में है, तो सरकारी नौकरी की प्राप्ति होती है, सरकारी क्षेत्रो से बड़े लाभ होते है, अगर सूर्य शुभ भावों में है, तो जीवन में बहुत उनत्ती और सामाजिक मान सम्मान की प्राप्ति होती है,
इस लग्न के जातकों के लिए माणिक्य धारण करना बहुत लाभकारी रहता है।
धनु लग्न की कुंडली में सूर्य
धनु लग्न की कुंडली में सूर्य नवम स्थान का नेतृत्व करता है, धनु लग्न की कुंडली में सूर्य भाग्येश बनता है, यानि भाग्य का मालिक।
अगर धनु लग्न में सूर्य शुभ भावों में है, तो सूर्य भाग्य को बहुत ऊंचाइयों पर ले जायेगा, व्यक्ति भाग्य का बहुत धनि होगा, उसके हर कार्य भाग्य से संपन्न होंगे।
इसलिए धनु लग्न के जातकों के लिए भाग्येश सूर्य का रत्न धारण करना बहुत लाभकारी होता है।
मकर लग्न की कुंडली में सूर्य
मकर लग्न की कुंडली में सूर्य अष्टम स्थान का नेतृत्व करता है, यानि दुःख देने वाला, मृत्युतुल्य कष्ट देने वाला, नाश करने वाला, कंगाल करने वाला,
इसलिए मकर लग्न के जातकों को माणिक्य को कभी भी धारण नहीं करना चाहिए, बल्कि सूर्य को जल दे, सूर्य की पूजा करे, सूर्य मन्त्र जाप करे।
कुम्भ लग्न की कुंडली में सूर्य
कुम्भ लग्न की कुंडली में सूर्य सप्तम स्थान का नेतृत्व करता है, सप्तम स्थान वैवाहिक जीवन और कारोबार का संचालन करता है,
अगर जन्म कुंडली में सूर्य शुभ भावों में विराजमान है, तो सूर्य कुम्भ लग्न के जातकों को अच्छा सुख प्रदान करने वाला होता है, सूर्य की महादशा में या किसी ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेकर माणिक्य धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।
मीन लग्न की कुंडली में सूर्य
मीन लग्न की कुंडली में सूर्य षष्ठ स्थान का नेतृत्व करने वाला होता है, षष्ठ स्थान रोग देने वाला, कर्जे देने वाला, मुसीबतों में डालने वाला, मुकदमों में डालने वाला होता है,
इसलिए मीन लग्न की कुंडली में सूर्य बहुत अशुभ हो जाता है, अगर मीन लग्न का जातक माणिक्य धारण करेगा, तो वह बताई गई सभी मुसीबतों को न्योता देगा, इस लग्न के जातकों को माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए।
माणिक्य किसे धारण करना चाहिए
जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में सूर्य शुभ भावों का स्वामी हो और साथ ही सूर्य शुभ भाव में विराजमान हो, ऐसे जातकों के लिए माणिक रत्न के लाभ और धारण करना बहुत शुभ होता है।
इसके विपरीत अगर अगर सूर्य अशुभ भावों में हो, आठवें, बारहवें भाव में हो, अपनी नीच राशि में हो, तो ऐसे जातकों को माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए।