तुला लग्न में shukra का फल

कुंडली के 12 भाव होते है, हर भाव का अपना अलग महत्त्व है, आइये जानते है की अगर तुला लग्न की कुंडली है तो तुला लग्न में shukra का फल कैसा होगा।

Tula Lagna: तुला लग्न में shukra का फल

तुला लग्न में शुक्र लग्नेश स्वामी होता है, यानि की तुला लग्न के जातकों पर शुक्र का शासन होता है। शुक्र तुला जातकों के पुरे जीवन को कंट्रोल करता है, एक प्रकार से शुक्र उनके जीवन का स्वामी होता है। इसलिए हर तुला जातक के लिए उनके जीवन में शुक्र का बहुत अधिक महत्त्व हो जाता है।

अब इसमें देखने वाली बात यह हो जाती है की तुला जातक की कुंडली में शुक्र की भूमिका कैसी है, के शुक्र शुभ है या अशुभ, शुक्र कहीं सूर्य से अस्त तो नहीं है, कहीं शुक्र बलहीन या अशुभ भाव में तो नहीं बैठा है, कहीं शुक्र तुला लग्न की कुंडली में नीच का होकर तो नहीं बैठा है या शुक्र अशुभ ग्रहों के साथ तो नहीं है।

तुला लग्न में shukra की स्तिथि को जानना बहुत जरुरी हो जाता है क्योंकि तुला जातकों को तुला लग्न में शुक्र की भूमिका के अनुसार ही शुभ-अशुभ फलों की प्राप्ति होगी, उनके जीवन में उनत्ति तरक्की, सांसारिक सुख, वैवाहिक सुख, शादी ब्याह, कारोबार, धन, आर्थिक और स्वास्थय सब शुक्र की स्तिथि पर ही निर्भर रहेगा।
अगर शुक्र शुभ और बलवान है तो निसंदेह जातक सुखी जीवन व्यतीत करेगा, वही अगर शुक्र अशुभ या कमजोर है तो उसे अपने सम्पूर्ण जीवन में हर प्रकार की चुनौतियों और परेशानियों का सामना करते हुए व्यतीत करना होगा। उसे अपने जीवन के संकटों को दूर करने के लिए शुक्र के उपाय करने बहुत जरुरी होंगे।

तुला लग्न में shukra का फल भाव अनुसार

1.तुला लग्न की कुंडली में अगर शुक्र प्रथम भाव में होगा तो जातक जीवन में बहुत उनत्ति करेगा, जीवन के हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति करेगा और स्वस्थ जीवन जियेगा

2.अगर तुला लग्न में शुक्र दूसरे भाव में होगा तो जातक सुखी, हर प्रकार का सुख भोगने वाला और धनी होगा।

3.तुला लग्न के तीसरे भाव में शुक्र होने पर भी व्यक्ति जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति करते हुए अपना जीवन यापन करता है, स्त्रियों का प्रिये होता है।

4.तुला लग्न के चतुर्थ भाव में शुक्र होने से जातक बड़े और सुख सुविधाओं वाले घर में रहता है, उसे कभी धन की कमी नहीं होती, वह अच्छे वाहनों का स्वामी होता है, उसे पर अच्छी संपत्ति होती है।

5.पंचम भाव में शुक्र होने से भी जातक जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति करने वाला, कमाने वाला, अच्छा कारोबार या नौकरी करने वाला, सुखी संतान सुख भोगने वाला, अच्छी शिक्षा प्राप्त करने वाला और घर में मांगलिक कार्य संपन्न करने वाला होता है।

6.तुला लग्न में जब शुक्र छठे भाव में होता है तो यहां शुक्र उच्च का होता है, जीवन शानदार होता है, जातक जीवन के सभी सांसारिक सुखों का भोग करता है, लेकिन उसे यौन रोग या कमजोरी हो सकती है।

7.तुला लग्न में सप्तम भाव में शुक्र होने से जातक सुखी वैवाहिक जीवन का भोग करता है, पत्नी सुन्दर होती है, उसका कारोबार और आर्थिक स्तिथि अच्छी होती है, उसका स्वास्थय अच्छा होता है, वह जीवन के सभी सुखों का भोग करता है।

8.तुला लग्न के अष्ठम भाव में शुक्र होने से व्यक्ति जीवन में संघर्षो का सामना करते हुए आगे बढ़ता है, शुक्र धन लाभ तो जरूर देता है लेकिन कमजोर स्वास्थय का सामना करना पड़ता है, शिक्षा की भी कमी होती है और कमजोर आर्थिक स्तिथियों का सामना करते रहना पड़ सकता है।

9.नवम भाव में तुला लग्न में शुक्र का होना जातक को भाग्यवान बनाता है, जातक जीवन में सभी सुखों को भाग्य से प्राप्त करता है, वह भाग्य के साहारे अपने जीवन में आगे बढ़ता चला जाता है, जीवन में धन लाभ, सुखी जीवन सभी कुछ भाग्य से प्राप्त होता है, जातक जीवन के सभी सुख ऐश्वर्य भाग्य से प्राप्त करता है और सुखी जीवन व्यतीत करता है।

10.अगर तुला लग्न की कुंडली है और शुक्र दशम स्थान में बैठा है तो जातक अच्छा कारोबार करनेवाला होता है, अच्छी नौकरी करता है, उसे सभी जानते है और वह किसी कला क्षेत्र में प्रसिद्ध भी हो सकता है। दशम भाव में शुक्र के होने से जातक जीवन में अच्छा धन संपत्ति कामता है और जीवन के सभी सुखों का भोग करता है।

11.तुला लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र होने से जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है, संतान से सुख प्राप्त करता है, लेकिन जीवन में कारोबार हो या नौकरी सब कुछ होते हुए भी उसके जीवन में लाभ की कमी होती है, उसके खर्च अधिक होते है, उसका धन निकलता रहता है, वह कितना भी अच्छा धन कमा ले लेकिन उसकी बरकत में कमी रहती है।

12.तुला लग्न में अगर शुक्र बारहवें भाव में बेथ जाये, तो यहाँ शुक्र नीच का हो जाता है, जातक रोगी होता है, उसमें पुरुष शक्ति की कमी होती है, जीवन संघर्षो से गुजरता है, जीवन में बहुत मेहनत करनी पड़ती है फिर भी सफलता नहीं मिलती, जातक का जीवन नीरस होता है, उसका धन कभी भी स्थाई नहीं रहता, जीवन में खर्च सदा बने रहते है, वैवाहिक जीवन भी सुखी नहीं होता।

तुला लग्न में शुक्र का रत्न धारण

क्या तुला लग्न के जातकों को शुक्र का रत्न हीरा या उसका उपरत्न सफ़ेद जिरकॉन, ओपल या सफ़ेद पुखराज धारण करना चाहिए। जी हां तुला लग्न के जातकों को शुक्र का रत्न धारण करना अनिवार्य है। शुक्र का रत्न उनके लग्न के स्वामी का रत्न है इसलिए अगर कुंडली में उनका स्वामी कहीं ना कहीं कमजोर या अशुभ हो रहा है तो उसे बल देना या शुभ करना बहुत जरुरी होता है। इसलिए हर तुला जातक को शुक्र का रत्न धारण जरूर करना चाहिए।

निष्कर्ष

साथियों आज की पोस्ट “तुला लग्न में shukra का फल” में हमने आपको तुला लग्न में shukra की भूमिका और इम्पोर्टेंस के बारे में बताया उम्मीद है की आपको पोस्ट पसंद आई होगी। कमैंट्स में जरूर बताये।

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