जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

जन्म कुंडली में सूर्य चतुर्थ भाव में है तो क्या आप माणिक्य धारण कर सकते है। आइये जानें जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य और माणिक्य धारण।

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण करने से लाभ की प्राप्ति तो होती है, लेकिन यह देखना होता है की सिंह राशि किस भाव में है

जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

दूसरे भाव में सूर्य और माणिक्य का क्या संबंध है, किस लग्न और किन परिस्थितियों में माणिक्य करना लाभकारी रहेगा।

जन्म कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

प्रथम भाव में सूर्य और माणिक्य

कुंडली में सूर्य प्रथम भाव में सूर्य विराजमान है तो क्या सूर्य का रत्न माणिक्य धारण किया जा सकता है, प्रथम भाव में सूर्य और माणिक्य धारण।

सूर्य उपासना और सूर्य मंत्रो द्वारा शांति

सूर्य उपासना और सूर्य मंत्रो द्वारा शांति

जीवन में ग्रहण,पितृ दोष निर्मित हो जाता है, सूर्य अशुभ और पीड़ित हो जाते है। ऐसे में सूर्य उपासना और सूर्य मंत्रो द्वारा शांति जरुरी है।

आदित्य हृदय स्तोत्र आपका जीवन बदल देगा

आदित्य हृदय स्तोत्र आपका जीवन बदल देगा

आदित्य हृदय स्तोत्र भगवान सूर्य का पाठ है, सूर्य देवता के इस पाठ को नित्य करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते है

सूर्य भगवान का मंत्र क्या है? सूर्य मन्त्र

सूर्य मन्त्र

ज्योतिशास्त्र में सूर्य देव और सूर्य मन्त्र को बहुत शक्तिशाली माना गया है, जन्म कुंडली में सूर्य का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है

जन्म कुंडली में सूर्य के प्रभाव

जन्म कुंडली में सूर्य के प्रभाव

व्यक्ति अपने जीवन में मान-सम्मान, प्रसिद्धि सूर्य के बल पर ही प्राप्त करता है, किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य के प्रभाव महत्वपूर्ण है।