शुक्र ग्रह
जन्म कुंडली में आपने शुक्र ग्रह के बारे में सुना ही होगा, यह नवग्रहों में से एक ग्रह है। शुक्र ग्रह कुंडली में व्यक्ति के जीवन में प्रेम, कला, सौंदर्य, आर्थिक संपन्नता, सुखमय संबंध, पौरुष शक्ति, सुख-समृद्धि, कला और भौतिक वस्तुओं की देन का प्रतीक है। इनके साथ ही शुक्र ग्रह विवाह, वैवाहिक सुख, विलासितापूर्ण जीवन और रचनात्मक प्रतिभा का भी देनदाता है। अगर शुक्र कमजोर तो जीवन में इन सभी की कमी।
अब आप समझ ही गए होंगे की किसी व्यक्ति के जीवन में शुक्र ग्रह की कितनी महत्वता है।
शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशियों का स्वामी है। यह अपनी राशियों में शुभ फल देता है, शुक्र जब मीन राशि में होता है तब यह उच्च का हो जाता है। अगर 27 डिग्री का रहेगा तो पूर्ण उच्च प्रभाव देगा। वहीं अगर शुक्र कन्या राशि में आ जायेगा तो यह नीच का होकर अशुभ फल देगा।
किसी भी कुंडली में शुभ शुक्र सौन्दर्य, आर्थिक संपन्नता, सुखमय संबंध और अच्छा स्वास्थय देता है। जबकि कमजोर और अशुभ शुक्र कमजोर स्थिति आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य समस्याएँ देता है।

शुक्र ग्रह का प्रभाव–Venus planet in astrology
भौतिक सुख: कुंडली में Shukra Grah का कार्य सांसारिक सुख प्रदान करना, सुख-सुविधाएँ, विलासितापूर्ण जीवन, विवाह, वैवाहिक जीवन, वैवाहिक सुख, काम सुख, प्रेम विवाह, पौरुष शक्ति, धन, कला क्षेत्र में प्रसिद्धि आदि का रहता है।
प्रेम और संबंध: प्रेम संबंधो, प्रेम विवाह का कारक शुक्र ही होता है, शुभ शुक्र प्रेम विवाह में सफलता और अशुभ शुक्र प्रेम विवाह में असफलता प्रदान करता है।
कला और रचनात्मकता: कलाकार, कला जगत, किसी कला का हुनर, नृत्य, संगीत, और फैशन डिजाइनिंग जैसे क्षेत्रों में भी सफलता दिलवाने वाला Shukra Grah ही है।
सुंदरता और आकर्षण: अगर आपका शुक्र शुभ और मजबूत है, तो आप यह मान के चले की आपका व्यक्तित्व आकर्षक होगा, मोहनेवाला होगा, आपकी पौरुष शक्ति मजबूत होगी, आप महिलाओं को आकर्षित करनेवाले पुरुष होंगे।
शुक्र के शुभ और अशुभ प्रभाव
मजबूत शुक्र: व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुभ और मजबूत शुक्र सुख-शांति, समृद्धि, अजबुत आर्थिक संपन्नता, सुखी वैवाहिक जीवन, धन धान्य से परिपूर्ण करता है।
कमजोर शुक्र: वहीं अगर कुंडली में Shukra Grah कमजोर, अशुभ या नीच का है तो यही शुक्र जीवन में कमजोर शरीर, नीरसता, आर्थिक परेशानियाँ, स्वास्थ्य समस्याएँ, विवाह में अड़चन, वैवाहिक जीवन में कष्ट, प्रेण विवाह में बाधा और सांसारिक सुखों की कमी करता है।

शुक्र के कमजोर होने के संकेत
- आर्थिक तंगी
- जीवन में सुख की कमी
- ख़राब सेहत, दुबलापन, निर्बलता
- ख़राब वैवाहिक रिश्ते
शुक्र ग्रह निवारण उपाय
दान पुण्य: गरीबों को शुक्रवार के दिन सफ़ेद मिठाई, सफ़ेद वस्त्र, चावल, शक्कर दान करें।
मंत्र जप: मंत्रों में बहुत शक्ति होती है, “ॐ श्रीं श्रीं श्रीं” या “ॐ द्रांग द्रीं द्रौण सह शुक्राय नमः” का नियमित जाप शुक्र की अशुभता को दूर करता है।
देवी पूजा: नियमित भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से शुक्र शुभ होने लगता है।
रत्न: शुक्र कमजोर होने पर हीरा, सफ़ेद पुखराज, सफ़ेद जिरकॉन, ओपल धारण करने से शुक्र बलशाली होता है।
शुक्र ग्रह (Venus)

नीचे आपको Shukra Grah की सारिणी दे रहे है, जिसे पढ़कर आप बहुत आसानी से Shukra Grah के बारे में जान सकेंगे।
ग्रह का नाम | शुक्र (Shukra / Venus) |
ग्रह देवता / पुराणिक | शुक्राचार्य (Shukracharya) — वैभव और भोग-आनंद से संबंधित |
स्वामित्व (राशियाँ) | वृषभ (Taurus) और तुला (Libra) |
उच्चस्थ / नीचस्थ | उच्चस्थ (Exaltation): मीन (Pisces) — नीचस्थ (Debilitation): कन्या (Virgo) |
प्राकृतिक स्वभाव | प्राकृतिक रूप से शुभ (शुभ ग्रह) — सौम्य, मोहक, और लोभी/भोगी प्रवृत्ति देता है |
मुख्य कार्य / संकेत (Significations) | प्रेम, वैवाहिक संबंध, सौंदर्य, कला-संगीत, विलासिता, धन-भोग, कपड़े, अलंकरण, सुख, वाहन, वाणिज्यिक रुचियाँ। |
व्यक्तित्व पर प्रभाव | मजबूत शुक्र — आकर्षक, मधुरस्वर, कला/डिज़ाइन प्रेमी, अच्छे कपड़े और स्वाद, प्रेम संबंधों में सफल। कमजोर या खराब स्थिति — आलस्य, व्यसनी प्रवृत्ति, वैवाहिक समस्याएँ, अनैतिक प्रेम-संबंध। |
शारीरिक/स्वास्थ्य संकेत | त्वचा, कमर, यौन स्वास्थ्य, प्रजनन अंग, नश्वर अंगों से संबंधित समस्याएँ शुक्र के खराब होने पर दिख सकती हैं। |
रत्न (Gemstone) | हीरा (Diamond) को पारंपरिक रूप से शुक्र के लिए उपयोग किया जाता है — परंतु रत्न धारण से पहले निजी कुंडली तथा गुरु सलाह जरूरी। |
रंग / दिन / धातु | रंग: सफ़ेद/रजत-टोन/पेस्टल, दिन: शुक्रवार (Friday), धातु: तांबा/चांदी (कभी-कभी) |
शुभ स्थान/कार्य | सौंदर्य से जुड़े व्यवसाय, फैशन, आर्ट, आभूषण, वाणिज्य, परामर्श व संबंध-निर्माण कार्य में शुभ फल देता है। |
अशुभ फल (कठोर स्थिति) | अनैतिकता, व्यसन, वैवाहिक कलह, आर्थिक बेवजह खर्च, स्वास्थ्य-संबंधी यौन/त्वचा समस्याएँ दिख सकती हैं। |
उपाय / सरल निवारण |
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FAQ:
Ans. शुक्र को ज्योतिष में भोग विलास, सुंदरता, सांसारिक सुख, पौरुष शक्ति, कला जगत का कारक माना जाता है।
Ans. अगर कुंडली में शुक्र कमजोर है तो आपके जीवन में वैवाहिक कलह, प्रेम में असफलता, आर्थिक परेशानी, आलस्य और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ (त्वचा, प्रजनन) आ सकती है। कमजोर शुक्र को मजबूत करने के लिए दान पुण्य, शुक्र मन्त्र जाप “ॐ शुक्राय नमः” और शुक्र का रत्न हीरा, जिरकॉन या ओपल धारण करें।
Ans. हीरा (Diamond), सफ़ेद जिरकॉन, सफ़ेद ओपल
Ans. विवाह और प्रेम जीवन का कारक ग्रह शुक्र ही है, शुभ शुक्र होने से सफलता मिलती है और अगर शुक्र कमजोर या अशुभ है तो इनमें असफलता मिलती है। विवाह नहीं होना, प्रेम विवाह असफल, अशांत वैवाहिक जीवन, कामसुख की कमी, संतान ना हो पाना, पौरुष शक्ति की कमी।
शुक्र अपनी महादशा और अंतर्दशा में अपने पुरे शबाब और पावर में रहता है, यह समय ऐसा होता है, अगर कुंडली में शुक्र शुभ है तो यह समय खूब उनत्ति और तरक्की का रहेगा, और अगर शुक्र अशुभ है तो बहुत तकलीफों और कष्टों का होने वाला है। शुक्र की महादशा/अंतर्दशा में शुक्र का रत्न धारण करना चाहिए, लेकिन पहले अपनी जन्म कुंडली की जाँच जरूर करवा लें।
Ans. नवग्रहों में शुक्र विवाह, वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंध का कारक होता है, इसलिए इन दोनों मामलों में कुंडली में शुक्र की भूमिका देखी जाती है। अगर कुंडली में शुक्र उच्च या शुभ है तो यक़ीनन व्यक्ति को इन संबंधो में सफलता प्राप्त होती है। अगर शुक्र अशुभ है तो विवाह और प्रेम संबंध कष्टकारी हो जाते है।
Ans. “ॐ शुं शुक्राय नमः”।
Ans. शुक्र ग्रह के रत्न धारण, शुक्र सम्बंधित दान और शुक्र मंत्रों का जाप
Ans. शुक्र का कला संगीत से गहरा रिलेशन है, कला और संगीत इन दोनों क्षेत्रों में सफलता तभी मिल सकती है, जब कुंडली में शुक्र बली और शुभ हो।