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best astrologer in bilaspur chhattisgarh, लक्ष्मी नारायण

best astrologer in bilaspur chhattisgarh, प्रणाम दोस्तों, आज इस पोस्ट में हम रत्नों के बारे में बात करेंगे, बहुत से लोगों में रत्नों को लेकर अलग अलग भ्रांतिया है, आज हम रत्नों के विषय पर ही चर्चा करते हुए यह जानने की कोशिश करेंगे की ज्योतिषशास्त्र में आखिर रत्नों को क्यों इतना ऊँचा दर्जा दिया गया है,

जयोतिषशास्त्र कोई ऐसी ही साधारण सी विद्या नहीं है, यह एक बहुत गहरी और चमत्कारी विद्या है, जिसके बारे में किसी भी जातक का विश्लेषण करते समय बहुत ही गहराई से देखना पड़ता है,
ऐसा नहीं है की कोई भी कुछ भी बता दे और रत्न धारण करने की सलाह दे डाले, ज्योतिष सलाह लेने से पूर्व व्यक्ति को तौल लेना बहुत आवश्यक होता है, नहीं तो उसके बताये गए गलत रत्न धारण से मुसीबत में फंस सकते है।

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best astrologer in bilaspur chhattisgarh|लक्ष्मी नारायण

लक्ष्मी नारायण शनिदेव के आराधक है, उनकी कोशिश रहती है की परमेश्वर से जुड़े रहे, इसलिए लक्ष्मी नारायण नियमित रूप से पूजा पाठ से जुड़े रहते है,
और उनकी यह कोशिश रहती है की अगर उनके पास कोई अपनी परेशानी लेकर आये तो वह उनकी बात ईश्वर तक पंहुचा सकें,

सुनने में तो यह बहुत बड़ी बड़ी बातें लगती है, लेकिन लक्ष्मी नारायण अपने मन में ऐसी ही आस्था रखते है, और आये व्यक्ति को परामर्श देते है, बाकि ईश्वर की मर्जी…

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लक्ष्मी नारायण ने इन तीनों सुविधाओं के बहुत ही साधारण शुल्क रखें है,

देखिये एक बात तो आप मान कर चलिए की कभी भी ऐसे साधन जिनसे हमारे जीवन में बदलाव आते है, वे निःशुल्क होने पर कारगर नहीं रहते है, इसलिए ज्योतिष परामर्श केंद्र ने बहुत ही साधारण शुल्क पर यह सुविधाएं प्रदान करता है, लक्ष्मी नारायण का उद्देशय धन कामने से अधिक लोगों की सेवा करना है,
जब किसी को दिए गए परामर्श से लाभ होता है, तो दिल को असीम सुख प्राप्त होता है, जो की धन कमाने में नहीं मिलता।

इसलिए, बगैर किसी संकोच के परामर्श ले और अपने जीवन सुखद बनाये, लक्ष्मी नारायण आपके और ईश्वर के बीच के माध्यम बनकर आपकी परेशनियां दूर करने की कोशिश करेंगे ! धन्यवाद


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लक्ष्मी नारायण द्वारा जानकारी, ज्योतिष और रत्नों की उपयोगिता

लक्ष्मी नारायण छत्तीसगढ़ के जाने माने ज्योतिष, जिनके परामर्श से आप अपने जीवन के बारे में विस्तार से जान सकते है, अपने उम्र के पड़ावों में आने वाली परेशनियों के बारे में जान सकते है, और उनका निवारण जान सकते है।

लक्ष्मी नारायण का कहना है जब हमारे पास हमारे ऋषि मुनियों द्वारा दिया गया इतना अद्भुत ज्ञान है तो फिर हर व्यक्ति को इसका लाभ उठाना चाहिए, अपने जीवन की समस्याओं की जानकारी रखनी चाहिए, अपने जीवन के आने वाले तरक्की के अवसरों को जानकर उसका लाभ उठाना चाहिए,

लक्ष्मी नारायण का ऐसा मानना है की हर व्यक्ति को अपनी जन्मकुंडली आवश्य बनानी चाहिए और उसके ऊपर चर्चा करके अपने जीवन के शुभ अशुभ अवसरों से अवगत रहना चाहिए,
तंत्र, मन्त्र, यंत्रो और रत्नों का सहारा लेकर अपने जीवन में खुशियों का संचार करना। चाहिए

ज्योतिषशास्त्र में रत्नों की उपयोगिता को बहुत अधिक महत्त्व दिया गया है, क्योंकि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों और नक्षत्रों का मनुष्य जीवन पर पूर्ण प्रभाव रहता है और प्रकृति ने रत्नों में ग्रहों की ऊर्जा का संचालन करने की दिव्य शक्ति प्रदान की है, जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व ही जान लिया था,

तभी तो ज्योतिषशास्त्र का निर्माण हजारों वर्षो पहले ही हो गया था, जिसे आज तक इस्तेमाल किया जा रहा है और इसकी अदभुत भविष्यवाणियों से बड़े बड़े वैज्ञानिक भी दांतो तले उंगलिया दबाते है, चाहे सार्वजानिक रूप से इसे ना स्वीकार करें,

ज्योतिषशास्त्र में रत्नों की इतनी अहम् भूमिका है की रत्नों द्वारा व्यक्ति के जीवन को एक नई दिशा मिल सकती है, उसकी परेशनियों में कमी की जा सकती है, उसके जीवन के तरक्की के रास्ते खोले जा सकते है,
यही तक नहीं रत्नों की उपयोगिता तो आयुर्वेद में रोगों के उपचार के लिए भी किया जाता है, जिसके अद्भुत परिणाम देखने को मिलते है।

रत्नों में ग्रहों की ऊर्जा तो रहती ही है इसके आलावा रत्नों में दैविये शक्तियां भी समाई रहती है, रत्नों को धारण करने से जादू-टोना, भूत-प्रेत, बुरी नजर आदि जैसी चीजों से बचा जा सकता है, उन्हें ख़त्म किया जा सकता है।

लगभग पुरे विश्व में रत्नों की उपयोगिता में पूर्ण विश्वास किया जाता है, रत्नों में नवग्रहों के 9 रत्नों को विशेष दर्जा प्राप्त है, लेकिन शास्त्रों में उपरत्नों के भी बहुत से चमत्कारी वर्णन दिए गए है, और विदेशों में तो उपरत्नों को अपनी सुरक्षा ढाल की तरह उपयोग किया जाता था।

रत्नों को धारण करने से व्यक्ति अपने जीवन में भाग्योन्नति, समृद्धि, खुशहाली, अपनी सुरक्षा के साथ कई रोगों से छुटकारा पा सकता है।

आइये आज इन्हीं रत्नों के बारे में जानकारी प्राप्त करते है, इनकी उपयोगिता और यह जानते है की बगैर अपनी जन्मकुंडली के परामर्श से रत्न धारण से नुकसान भी हो सकते है।

जन्म पत्रिका के अनुसार रत्न धारण

1. ज्यादातर, लोगों को यह नहीं पता होता है की रत्न धारण करने के विशेष नियम और क़ायदे होते है। आइये जानते है, जन्म पत्रिका के अनुसार रत्न धारण
रत्न धारण करने को लेकर कुछ गलतफहमियां

2. सामान्य तौर पर ज्यादातर रत्नों को लेकर लोगों का ऐसा मानना होता है कि, अगर किसी युवक या युवती का विवाह नहीं हो पा रहा हो, तो वह पीला पुखराज पहन ले,विवाह संपन्न हो जायेगा। अगर कोई मांगलिक है, तो लाल मूंगा धारण के ले, मांगलिक दोष दूर हो जायेगा और मोती को लेकर तो इतनी भ्रांति है कि, अगर किसी को बहुत गुस्सा आता है, या मानसिक रूप से परेशान है, तो सीधे उसको मोती रत्न धारण करवा दिया जाए।
लेकिन ऐसा करने से इसके बिल्कुल विपरीत होता है। रत्नों को इस सोच के साथ धारण करना सर्वथा गलत है ,कभी भी रत्न धारण करने से पहले किसी विद्वान से जन्म पत्रिका का सुष्म निरीक्षण करवाना चाहिए और उसके मार्गदर्शन में ही रत्न धारण करना चाहिए, नहीं तो ठीक उसके विपरीत, उल्टा प्रभाव होना शुरू हो जाएगा।

3. जन्मपत्रिका में लग्न, नवमांश, ग्रहों का बल, दशाएं, ग्रहों की महादशा ,आदि सभी स्थितियों का गहराई से विश्लेषण करने के बाद ही रत्न धारण करने का निर्णय लेना चाहिए। यूं ही रत्नों के बारे में सोच कर किसी भी ग्रह का रत्न धारण करने से आपके लिए पूरी तरह से नुकसानदायक हो सकता है।
रत्न धारण करते समय ऐसी गलतियां कभी ना करें, नहीं तो आपको फायदे की जगह होगा नुकसान

4. जिस मोती को आप यह सोच कर धारण कर रहे हैं कि, वह आपके गुस्से को शांत करेगा और मानसिक शांति देगा, वही मोती धारण करने से आप डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं और गुस्सा शांत होने के बजाय बहुत बढ़ भी सकता है।

5. अगर आप यह सोचकर लाल मूंगा धारण करते हैं की, मंगल प्रॉपर्टी प्रदान करने वाला है, इसको धारण कर लिया जाए ,लेकिन ठीक इसके विपरीत मंगल का रत्न लाल मूंगा धारण करने से आपका गुस्सा बहुत अधिक बढ़ सकता है, आपका ब्लड प्रेशर गड़बड़ा सकता है और यहां तक कि आपको अपने धन-संपत्ति, व्यवसाय, प्रॉपर्टी को लेकर भी कोई बड़ा नुकसान हो सकता है।

6. बगैर सोचे समझे बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज धारण करने से आपमें अहंकार बढ़ सकता है, आपको पेट से संबंधित रोग हो सकते हैं और धन का नुकसान भी हो सकता है।

7. ठीक इसी तरह से अन्य ग्रहों के रत्न भी बगैर सोचे समझे धारण करने से आपको जीवन में कई तरह के नुकसान होने की प्रबल सम्भावना बनी रहती है।
जन्मपत्रिका के हिसाब से कौन सा रत्न पहने

8. जन्मपत्रिका में लग्न कुंडली को देखते हुए कारक ग्रहों के, लग्नेश का रत्न, नवमेश का रत्न, पंचमेश का रत्न, सर्वदा बगैर किसी रोक-टोक के धारण किए जा सकते हैं।

9. ऐसे ग्रह जो शुभ भावों के स्वामी होकर, अशुभ भाव में हो, उनका रत्न धारण किया जा सकता है।

10. अगर कोई ग्रह शुभ अवस्था में होने पर भी अस्त हो या शुभ ग्रह, शत्रु ग्रह के साथ स्थित हो, तो ऐसे में उन ग्रहों को बल देने के लिए उनका रत्न धारण करना बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।

11. किसी भी ग्रह का रत्न धारण करने के लिए उस ग्रह की दशाओं और महादशाओं का भी अध्ययन करना आवश्यक होता है।

12. जब किसी जन्म पत्रिका में केंद्र या त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह की महादशा आती है, तो उनकी महादशा में उनका रत्न धारण करने से लाभ मिलता है।

13. तीसरे, छठे, आठवें, और बारहवें भाव के स्वामियों के रत्न धारण नहीं करने चाहिए, इन ग्रहों का हमेशा दान पुण्य करना चाहिए, इन ग्रहों से संबंधित मंत्र जाप और पूजा का सहारा लेना चाहिए।
रत्न धारण विधि

एक बार रत्न निर्धारित हो जाए, तो उस रत्न को पूरी विधि से धारण करना चाहिए।

1. किसी भी रत्न को हमेशा अंगूठी में या लॉकेट में जड़वा कर ही धारण करना चाहिए। हर रत्न की अपनी विशिष्ट धातु है। उस रत्न को उसकी निर्धारित धातु में ही बनवाना चाहिए।
रत्न को हमेशा शुभ घड़ी, समय,वार और मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए।

2. रत्न की अंगूठी बनने के बाद रत्न को धारण करने से पूर्व की रात को कच्चे दूध में डुबोकर रख देना चाहिए। सुबह शुभ मुहूर्त में उस रत्न को गंगाजल से स्नान करवाकर पूजा के स्थान में रख देना चाहिए और पूर्ण विधि-विधान से उस रत्न के ग्रह की पूजा करते हुए, उसका मंत्र जाप करना चाहिए।

3. अगर उस ग्रह का जाप 21,000 या 1,00,000 किया जाए तो यह सर्वोत्तम माना जाता है। अन्यथा 108 या 1100 तक का जाप भी किया जा सकता है। तत्पश्चात अपने इष्ट देव को याद करते हुए और उस ग्रह से अपनी मनोकामना पूर्ण होने का स्मरण करते हुए धारण करना चाहिए।

4. अगर आप इस पूरी विधि विधान से रत्न धारण करने में असमर्थ है, तो आप यह कार्य किसी विद्वान पंडित द्वारा भी करवाकर रत्न धारण कर सकते है।
विशेष

5. शनि और राहु ग्रह के रत्न धारण करते समय विशेष सतर्क रहना चाहिए। कभी भी शनि और राहु का रत्न धारण करने से पहले अपनी जन्म पत्रिका का सुष्म निरीक्षण करवा लेना चाहिए, अन्यथा बुरे परिणाम भी सामने आ सकते हैं, दुर्घटना घट सकती है, यहां तक की अदालती कार्यवाही या जेल के दर्शन भी हो सकते हैं।

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