गुरु पूर्णिमा 2024 समय और दिन
इस साल 2024 में गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई दिन रविवार को पड़ रही है। गुरु पूर्णिमा का शुभ दिन 20 जुलाई शाम 6 बजे से आरंभ होकर 21 जुलाई 3 बजकर 47 तक रहेगा। आइये अब आगे जानते है यह दिन इतना पूजनीय क्यों है और गुरु पूर्णिमा का महत्त्व क्या है।
गुरु पूर्णिमा का महत्त्व
Guru Purnima : गुरु यानि की आपके जीवन में एक ऐसा व्यक्ति जो आपको सलाह और मार्गदर्शन देता है, आपके अंदर आध्यात्मिक विकास और ज्ञानोदय का प्रकाश करता है। गु का अर्थ है अज्ञान और रु का अर्थ होता है प्रकाश। यानि की गुरु वह व्यक्ति है जो आपके अज्ञान को ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है।
साल में आषाढ़ मास (चौथा महीना) की पूर्णिमा के दिन को गुरु के आदर स्वरुप “गुरु पूर्णिमा” का पर्व मनाया जाता है। यह सनातन धर्म की संस्कृति है। सनातन धारण में गुरु को इतना बड़ा सम्मान दिया गया है की ऐसा बोला गया है अगर आपके सामने स्वयं परमेश्वर और गुरु एक साथ आ जाए तो पहले गुरु को प्रणाम करें, क्योंकि गुरु ही वह व्यक्ति है जो ईश्वर की प्राप्ति के लिए ज्ञान देता है। अगर गुरु ज्ञान नहीं देगा तो ईश्वर की प्राप्ति असंभव है, इसलिए गुरु को ईश्वर से भी बड़ा दर्जा दिया गया है। अगर गुरु का आशीर्वाद नहीं है तो कुछ भी संभव नहीं है।
गुरु पूर्णिमा के दिन को बहुत बड़ा दिन माना गया है, इस दिन शिष्य अपने गुरुओं को दान दक्षिणा भेट करते है। इस दिन व्रत, दान-पुण्य और पूजा-पाठ करने से बहुत पुण्य मिलता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और मोक्ष प्राप्त होता है।
पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने दक्षिणामूर्ति (ज्ञान के गुरु का रूप) के रूप में ब्रह्मा के चार मानसपुत्रों से वेदों की विद्या प्राप्त की थी। गुरु पूर्णिमा के ही दिन महर्षि वेदव्यास जिन्हें श्री हरी विष्णु जी का 18वां अवतार माना जाता है, उन्होंने महाभारत ग्रन्थ की रचना की थी। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म दिन भी मनाया जाता है इसलिए गुरुओं के लिए यह दिन और भी पूजनीय माना जाता है। इस दिन को “व्यास पूर्णिमा ” भी बोला जाता है।
गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व है, इस दिन बौद्ध धर्म के भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद सारनाथ शहर में अपना प्रथम उपदेश दिया था, इसलिए गुरु पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन बौद्ध धर्म के लोग प्राथनाएं और ध्यान में रहते है।
ऐसे ही गुरु पूर्णिमा का दिन जैन समाज के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, क्योंकि जैन धर्म के लोग इस दिन 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की पूजा अर्चना करते है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है।
गुरु पूर्णिमा का दिन क्या करें
यह तो आप जान ही चुके है की गुरु पूर्णिमा का दिन कितना बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व है, आइये जानते है की इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
इस दिन अपने गुरुओं, शिक्षकों और बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए, उन्हें भेंट स्वरुप कुछ ना कुछ दान दक्षिणा देनी चाहिए।
इस दिन अपने गुरुओं की पूजा अर्चना करनी चाहिए, उपवास करना चाहिए, पूजा मन्त्र जप करना चाहिए, गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह बहुत बड़ा पर्व है।
जरुरतमंदो और गरीबों की सेवा करनी चाहिए, उन्हें दान दक्षिणा भेंट करनी चाहिए, इस दिन जरुरतमंदो और गरीबों की सेवा करने से गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस महत्वपूर्ण दिन को पवित्र शास्त्रों और ग्रंथों का अध्यन करना चाहिए, ऐसा करने से ज्ञान की प्राप्ति और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
क्या नहीं करना चाहिए
गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन को किसी भी तरह के नकारात्मक या हिंसक विचार मन में नहीं लाने चाहिए।
सबसे अच्छा और सम्मानजनक व्यवहार करें, सबका आदर करें, किसी की भी आलोचना करने से बचें
इस दिन अपने आप को सात्विक रखें, ना तो किसी तरह का गलत खानपान करें और ना ही भोग विलास करें
गुरु पूर्णिमा का दिन शिष्य और गुरु के बीच का पवित्र पूजनीय दिन है, यह गुरु और शिष्य को एक पवित्र बंधन में बांधता है। यह दिन ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्म की प्राप्ति करवाता है। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन इन सभी बातों को ध्यान में रखकर इस दिन का सम्मान करके अत्यधिक लाभ उठाना चाहिए।