चौथे भाव में 12 राशियों के प्रभाव:12 signs in the Fourth House in Hindi

चौथे भाव में 12 राशियों के प्रभाव जानें, चौथा भाव सुख, संस्कार और सम्पत्ति का प्रतीक है, जिसमें भूमि, भवन और वाहन जैसी सम्पत्तियों का भी समावेश होता है। यह भाव मन की शांति, घरेलू जीवन, माता का स्थान, सम्पत्ति का संचय, ऐश्वर्य का उपभोग, पूर्वजों की विरासत और प्राथमिक शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। जब इस भाव में शुभ राशि होती है, तो यह सकारात्मक फल प्रदान करता है, जबकि अशुभ राशि की स्थिति में यह नकारात्मक परिणाम उत्पन्न कर सकता है।

इस भाव की स्थिति का प्रभाव लग्न भाव पर भी पड़ता है, क्योंकि यह केंद्र में स्थित होता है। यदि चौथा भाव मजबूत है, तो यह व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इसके विपरीत, यदि यह कमजोर या दुष्प्रभावित है, तो यह व्यक्ति के घरेलू जीवन और मानसिक शांति को प्रभावित कर सकता है।

विभिन्न राशियों की स्थिति इस भाव में अलग-अलग फल देती है। मातृ भाव और सुख भाव के रूप में जाने जाने वाले इस भाव में राशियों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। इस प्रकार, चौथा भाव न केवल भौतिक सम्पत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

चौथे भाव में 12 राशियों के प्रभाव:12 signs in the Fourth House in Hindi

मेष राशि: यदि मेष राशि सुख भाव में स्थित हो, तो घरेलू परिस्थितियों के कारण जातक को बचपन में उचित संस्कार नहीं मिल पाते, जिससे उसकी सोच में विकृति आ जाती है। माता से उसे कुछ समय के लिए स्नेह प्राप्त होता है, लेकिन आवश्यक संस्कारों की कमी बनी रहती है। इस स्थिति में जातक के मन में असंतोष और विद्रोह की भावना दबी रहती है, और वह भौतिक सुखों की ओर आकर्षित हो जाता है। ऐसे जातक अपनी मेहनत से धन अर्जित करते हैं, लेकिन उनकी प्रवृत्ति विलासी और स्वार्थी होती है।

वृष राशि: सुख भाव में वृष राशि की उपस्थिति जातक को शिक्षा में रुचि रखने वाला, सुसंस्कृत और विरासत में धन-संपत्ति प्राप्त करने वाला बनाती है। जातक को अपने परिवार से पर्याप्त स्नेह और समर्थन मिलता है, जिससे उसकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति मजबूत होती है। इस प्रकार का जातक अपनी विद्या और कौशल के बल पर उच्च पदों और सभी प्रकार के सुख-साधनों को प्राप्त कर लेता है।

मिथुन राशि: चौथे भाव में मिथुन राशि की स्थिति जातक को अध्ययनशील और ज्ञानार्जन के प्रति उत्सुक बनाती है। वह अपने पिता से प्रेरणा प्राप्त करता है और परिवार के साथ संबंधों को मजबूत करने में सक्षम होता है। इस राशि के जातक में संवाद कौशल और सामाजिकता की विशेषता होती है, जो उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने में मदद करती है।

कर्क राशि के चौथे भाव में होने पर जातक अत्यधिक चंचलता, मातृ प्रेम और पिता की विशेष स्नेह का अनुभव करता है। इस स्थिति के कारण वह मूडी और उद्दंड स्वभाव का भी हो सकता है। उसकी भावनाएँ गहरी होती हैं और प्राथमिक शिक्षा में उसे कई बार उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। वह आकर्षक, गुणवान और समाज में प्रिय होता है, विशेषकर विपरीत लिंगी उसके प्रति अधिक आकर्षित होते हैं। सामान्यतः उसे भौतिक सुख-साधनों की प्राप्ति होती है।

जब चौथे भाव में सिंह राशि होती है, तो जातक स्वार्थी, शीलहीन, जिद्दी और क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। इस स्थिति में उसे माता-पिता का पर्याप्त स्नेह नहीं मिल पाता और विद्या के प्रति उसकी अनदेखी की प्रवृत्ति होती है। हालांकि, वह मेहनती होता है और अक्सर कुशल कारीगर या श्रमिक के रूप में कार्य करता है। उसे सही संगत नहीं मिल पाती, जिससे उसकी सामाजिक स्थिति प्रभावित होती है।

कन्या राशि के चौथे भाव में होने पर जातक माता के अत्यधिक प्यार और दुलार के कारण सही ढंग से संस्कारित नहीं हो पाता। इस स्थिति में वह विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षण महसूस करता है, लेकिन उसकी भावनाएँ और व्यवहार कभी-कभी उसे कठिनाइयों में डाल सकते हैं। इस प्रकार, जातक की सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

यदि चौथे भाव में तुला राशि स्थित है, तो जातक का बचपन अत्यधिक लाड़-प्यार में व्यतीत होता है। उसे परिवार के सभी सदस्यों से प्रेम और अच्छे संस्कार प्राप्त होते हैं। यह जातक अध्ययन के प्रति गहरी रुचि रखता है और जीवन में विभिन्न प्रकार के वैभव और सुखों का अनुभव करता है।

चौथे भाव में वृश्चिक राशि की उपस्थिति जातक को मंदबुद्धि, परिवार द्वारा उपेक्षित, विद्रोही, जिद्दी और तेज स्वभाव का बनाती है। इस जातक के भीतर हमेशा एक प्रकार की आशंका, चिंता और भय का अनुभव होता है। धन और संपत्ति प्राप्त करने के लिए उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे उसकी स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

यदि सुख-सम्पदा भाव में धनु राशि विद्यमान है, तो जातक सुसंस्कारी, धन-सम्पदा से परिपूर्ण, विद्या में निपुण, विनम्र और सुशील होता है। उसे जीवन में सुखों की प्राप्ति अपने कर्मों के अनुसार होती है। यह जातक जिजीविषा से भरा होता है और जीवन के विभिन्न संघर्षों का सामना करने की अद्भुत क्षमता रखता है।

मकर राशि यदि चौथे भाव में स्थित हो, तो जातक को जल से संबंधित साधनों से सुख की प्राप्ति होती है। वह जल परिवहन, जल संसाधनों और जलीय उत्पादों के व्यापार के माध्यम से लाभ अर्जित करता है। विपरीत लिंगियों से उसे पर्याप्त आनंद मिलता है। उसकी प्रवृत्ति विलासी होती है और पढ़ाई-लिखाई में उसकी रुचि कम होती है। वह अत्यधिक भावुक होता है, और घर में थोड़ी-सी उपेक्षा भी उसे गहरा दुख पहुंचा सकती है, जिससे विद्रोही भावनाएं उत्पन्न होती हैं।

यदि चौथे भाव में कुंभ राशि की स्थिति हो, तो जातक को अपने परिवार का भरपूर प्रेम प्राप्त होता है। उसे माता की संपत्ति का लाभ मिलता है और वह रहस्यमयी विद्याओं के अध्ययन में गहरी रुचि रखता है। विपरीत लिंगियों के प्रति उसका आकर्षण अत्यधिक होता है, और उनके माध्यम से उसे सभी प्रकार की सुख और संपत्ति प्राप्त होती है। उसकी प्रवृत्ति भोगी होती है, जो उसे भौतिक सुखों की ओर आकर्षित करती है।

मीन राशि का सुख भाव में होना जातक के लिए विशेष महत्व रखता है। यह स्थिति उसे मानसिक और भावनात्मक संतोष प्रदान करती है। जातक की संवेदनशीलता और सहानुभूति उसे दूसरों के प्रति आकर्षित करती है, जिससे वह सामाजिक संबंधों में भी सफल होता है। इस राशि के प्रभाव से जातक की रचनात्मकता और कल्पनाशीलता में वृद्धि होती है, जो उसे जीवन में नई संभावनाओं की ओर अग्रसर करती है।

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