तीसरे भाव में 12 राशियों के प्रभाव:12 signs in the Third House in Hindi

तीसरे भाव में 12 राशियों के प्रभाव – तीसरा भाव, जिसे पराक्रम भाव भी कहा जाता है, जातक की मानसिक क्षमता, छोटी यात्राओं, भाई-बहनों, पड़ोसियों, निकट संबंधियों, शिक्षा और लेखन से संबंधित पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसके साथ ही, यह दाहिने कान, छाती जैसे शारीरिक अंगों और साहस, उद्यमिता, तथा पराक्रम जैसे भावनात्मक तत्वों को भी दर्शाता है। इस भाव में विभिन्न राशियों की स्थिति के अनुसार परिणामों का विश्लेषण किया जाता है।

पराक्रम भाव का महत्व जातक के जीवन में कई दृष्टिकोणों से है, जिसमें उसकी बुद्धिमत्ता और सामाजिक संबंधों की गहराई शामिल है। यह भाव न केवल व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करता है, बल्कि जातक की यात्रा और साहसिकता के पहलुओं को भी उजागर करता है। विभिन्न राशियों की स्थिति इस भाव के फल को निर्धारित करती है, जिससे जातक के जीवन में आने वाले अनुभवों और चुनौतियों का आकलन किया जा सकता है।

तीसरे भाव में 12 राशियों के प्रभाव:12 signs in the Third House in Hindi

मेष राशि यदि पराक्रम भाव में स्थित हो, तो जातक एक शक्तिशाली योद्धा के रूप में उभरता है। उसकी साहसिकता और निर्भीकता उसे विशेष पहचान दिलाती है। परोपकार में उसकी रुचि होती है, जिससे वह प्रशंसा प्राप्त करने का आनंद लेता है। इसके साथ ही, वह विद्वानों और ब्राह्मणों का सम्मान करता है और एक शिक्षित व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।

वृष राशि का पराक्रम भाव में होना जातक को यश और विद्या से परिपूर्ण बनाता है। यह जातक दानशीलता और भावुकता के साथ-साथ एक कुशल कवि के गुणों से भी संपन्न होता है। इसके अलावा, वह ब्राह्मणों का आदर करता है और शासक वर्ग के साथ अच्छे संबंध स्थापित करता है, जिससे उसकी सामाजिक स्थिति मजबूत होती है।

मिथुन राशि यदि तीसरे भाव में हो, तो जातक शासक वर्ग के लिए सम्मानित होता है और अपने परिवार का प्रमुख बनता है। उसकी उदारता और विपरीत लिंगियों के प्रति आकर्षण उसे विशेष बनाता है। इसके साथ ही, वह धन-सम्पत्ति और ऐश्वर्य के साधनों से संपन्न होता है, जो उसकी सामाजिक स्थिति को और भी मजबूत करता है।

कर्क राशि का तीसरा भाव जातक को एक सफल किसान, धार्मिक कथाओं में रुचि रखने वाला, विनम्र, समृद्ध, मिलनसार और व्यापारियों का मित्र बनाता है। इस स्थिति में जातक की सामाजिक और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, जिससे वह अपने आस-पास के लोगों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर सकता है।

सिंह राशि के तीसरे भाव में जातक की विशेषताएँ कुछ भिन्न होती हैं। इस स्थिति में जातक हिंसक प्रवृत्तियों का शिकार हो सकता है, जो उसे पापी, अशिष्ट और उग्र भाषा बोलने वाला बनाता है। हालांकि, इस प्रकार के जातक में साहस की कोई कमी नहीं होती और वह अपने अभिमान को छिपाने में सक्षम होता है।

कन्या राशि का पराक्रम भाव जातक को शांत, ईश्वरभक्त और विनम्र बनाता है। इस स्थिति में जातक शस्त्र चलाने की कला में निपुण होता है, जिससे वह अपने कौशल का उपयोग कर सकता है। उसकी यह विशेषता उसे न केवल आत्मरक्षा में सक्षम बनाती है, बल्कि समाज में भी एक सम्मानित स्थान दिलाती है।

तुला राशि के जातक, जिनका तीसरा भाव तुला में स्थित है, आमतौर पर चंचल और नासमझ होते हैं। वे बड़े होने पर भी बचकानी हरकतें करते हैं और बच्चों के साथ अधिक समय बिताना पसंद करते हैं। उनकी संगति अक्सर सही नहीं होती, और वे दुष्ट और पापी प्रवृत्ति के लोगों के साथ अधिक मित्रता रखते हैं।

यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में तीसरे भाव में वृश्चिक राशि है, तो वह आमतौर पर दरिद्रता, झगड़ालु स्वभाव, अहसानफरामोशी और असामाजिकता का शिकार होता है। ऐसे जातक अवांछित माहौल में रहना पसंद करते हैं और इसी प्रकार के लोगों के साथ उठना-बैठना उनकी प्राथमिकता होती है।

तीसरे भाव में धनु राशि होने पर जातक एक महान योद्धा, राजा या उच्चपदस्थ सरकारी अधिकारी के रूप में उभरता है। ऐसे जातक सुखी, सम्पन्न और धर्मनिष्ठ होते हैं, जो अपने कार्यों में पराक्रम और साहस का प्रदर्शन करते हैं।

मकर राशि का तीसरे भाव में होना जातक को एक सौम्य, सशक्त, धनवान, विद्वान और देवताओं तथा गुरु का भक्त बनाता है। इस स्थिति में जातक की विशेषताएँ उसे समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाती हैं, जिससे वह अपने ज्ञान और समृद्धि के लिए जाना जाता है।

कुंभ राशि, जो राशि चक्र की ग्यारहवीं राशि है, जब तीसरे भाव में होती है, तो जातक धर्म के प्रति समर्पित, सत्यनिष्ठ, सुशील और गायन कला में रुचि रखने वाला होता है। इसके अलावा, वह क्षमाशील, व्रति और समाज में अपनी कीर्ति के लिए प्रसिद्ध होता है, जो उसे एक आदर्श व्यक्तित्व प्रदान करता है।

मीन राशि का तीसरे भाव में होना जातक को मिलनसार, प्रिय, पुण्यात्मा और धन-सम्पत्ति का स्वामी बनाता है। इस स्थिति में जातक की संतान अच्छी होती है और वह भाई-बहनों के साथ प्रेमपूर्वक रहता है। इसके साथ ही, वह अतिथियों और विद्वानों की सेवा-सत्कार में भी अग्रणी होता है, जो उसकी उदारता और विनम्रता को दर्शाता है।

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