छठवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव:12 signs in the Sixth House in Hindi

छठवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव

छठवां भाव, जिसे दुःस्थान के अंतर्गत आने वाले तीन भावों में से पहला माना जाता है, वैर भाव के रूप में भी जाना जाता है। यह भाव शत्रुओं, चोरों, शारीरिक घावों, फोड़े-फुंसियों, निराशाओं, कष्टों, दुखों, ऋण, रोग, पितृपक्ष के संबंधियों, पापकर्मों और लड़ाइयों से संबंधित विषयों का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव में विभिन्न राशियों की स्थिति के अनुसार कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आते हैं। इस भाव का अध्ययन करते समय यह आवश्यक है कि हम समझें कि यह न केवल व्यक्तिगत समस्याओं को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक संबंधों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। छठे भाव की स्थिति विभिन्न राशियों के अनुसार व्यक्ति के जीवन में आने वाली चुनौतियों और संघर्षों को स्पष्ट करती है, जिससे व्यक्ति को अपने जीवन के कठिनाइयों का सामना करने में सहायता मिलती है। जानें छठवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव

मेष राशि: छठवें भाव में मेष राशि होने से उनमें पंगा लेने की प्रवृत्ति विकसित होती है। वे अक्सर छोटी-छोटी बातों पर या बिना किसी स्पष्ट कारण के दूसरों के साथ विवाद में पड़ जाते हैं, जिससे वे अपने लिए दुश्मन बना लेते हैं। उनका जीवन संघर्षों से भरा होता है, लेकिन वे अक्सर इन चुनौतियों में सफल भी रहते हैं।

वृष राशि: वृष राशि के जातक अपने बच्चों के कारण या यदि वे पुरुष हैं तो स्त्रियों के कारण, और यदि वे स्त्री हैं तो पुरुषों के कारण अपने परिवार के सदस्यों से वैर मोल ले लेते हैं। इस प्रकार की स्थिति उनके पारिवारिक संबंधों में तनाव उत्पन्न कर सकती है, जिससे उनके रिश्तों में दरार आ सकती है।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक जब छठे भाव में होते हैं, तो वे अपने जीवनसाथी, असामाजिक तत्वों, व्यापारियों, दुकानदारों और नीच विचारों वाले व्यक्तियों के साथ वैरभाव रखते हैं। यह स्थिति उनके सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकती है और उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

कर्क राशि: कर्क राशि का छठा भाव जातक को संतान के मामलों में अधीर बना देता है, जिससे वह सरकार, प्रतिष्ठित व्यक्तियों और विद्वानों के साथ विवाद में पड़ जाता है। इस स्थिति में जातक की भावनाएं उसे सही निर्णय लेने में बाधित कर सकती हैं, जिससे उसके पारिवारिक संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है।

सिंह राशि: सिंह राशि के जातक अपनी पुत्री के कारण दामाद और रिश्तेदारों के साथ झगड़े में पड़ जाते हैं। वह अनैतिक कार्यों और गलतियों में अपनी सम्पत्ति को बर्बाद कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कर्ज लेना पड़ता है। इस प्रकार, वह विभिन्न प्रकार के कष्टों का सामना करते हुए जीवन यापन करने के लिए मजबूर होते हैं।

कन्या राशि: यदि कन्या राशि का छठा भाव में स्थान है, तो जातक के शत्रु उसकी अपनी इच्छाएं बन जाती हैं। दुराचार और व्यभिचार के कारण वह अपनी धन-सम्पत्ति और स्वास्थ्य को नष्ट कर देता है। इस स्थिति में जातक को अपनी आंतरिक इच्छाओं पर नियंत्रण पाने की आवश्यकता होती है, ताकि वह अपने जीवन को संतुलित और सुखद बना सके।

Read Also: Your Lucky Gemstone

तुला राशि: छठे भाव में तुला राशि के जातक धन और संपत्ति के मामलों में अपने परिवार के सदस्यों के साथ विवाद में पड़ सकते हैं। हालांकि, वे आमतौर पर धन संचय करने वाले, धार्मिक और साधु-संतों की सेवा करने वाले होते हैं। इसके अलावा, वे भूमि और संपत्ति के विवादों में भी शामिल हो सकते हैं, जिससे उन्हें कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है

वृश्चिक राशि: यदि वृश्चिक राशि छठे भाव में स्थित है, तो जातक को जहरीले जीवों और चोरों से खतरा महसूस होता है। ऐसे जातक आमतौर पर धनी व्यक्तियों और विलासिता के जीवन जीने वालों के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं। यह स्थिति उनके मानसिक तनाव का कारण बन सकती है।

धनु राशि: छठे भाव में धनु राशि के जातक, जब छठे भाव में होती है, तो उनकी शत्रुता उच्च पदस्थ और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ होती है। वे शत्रुता में हिंसा का सहारा नहीं लेते, बल्कि प्रतिस्पर्धा के माध्यम से अपनी स्थिति को मजबूत करते हैं। ऐसे जातक विद्वान और महत्वाकांक्षी होते हैं, और उनके शत्रु उनसे भयभीत रहते हैं। वे अन्याय और रोगों से नफरत करते हैं और अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हैं।

मकर राशि: छठे भाव में मकर राशि के जातक धन के प्रति अत्यधिक लालची होते हैं और वे धन संबंधी मामलों में अपने मित्रों पर भी भरोसा नहीं करते। उनकी संकीर्ण सोच के कारण वे अपने परिवार, सज्जनों और अन्य लोगों के प्रति भी शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाते हैं। उनका स्वार्थी और अविश्वासी स्वभाव उनके दांपत्य जीवन में भी समस्याएँ उत्पन्न करता है, जिससे उनके जीवनसाथी के साथ संबंध सामान्य रूप से नहीं बन पाते।

कुंभ राशि: छठे भाव में कुंभ राशि के जातक अक्सर सरकार या शासकों के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं। वे जल के स्रोतों जैसे तालाब, नदियाँ और अन्य जल जीवों से भी डरते हैं। इसके अलावा, उनकी सरकारी अधिकारियों के साथ भी अक्सर टकराव की स्थिति बनी रहती है, जिससे उनके जीवन में तनाव उत्पन्न होता है।

मीन राशि: मीन राशि के जातक यदि छठे भाव में स्थित होते हैं, तो उनके जीवनसाथी के साथ संबंध सामान्य नहीं रहते। वे अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों के साथ भी महिलाओं के मामलों में शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हैं। इस प्रकार, उनके व्यक्तिगत संबंधों में निरंतर संघर्ष और असहमति बनी रहती है।

Read Also: Beauty & News

Leave a Comment