सातवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव
लक्ष्मी नारायण के अनुसार, सातवां भाव पति-पत्नी के संबंध, विवाह, मूत्रांग, वैवाहिक सुख-दुख, यौन स्वास्थ्य, व्यापार, सट्टेबाजी, इच्छाएं, कूटनीति, सम्मान, व्यापार कौशल, शारीरिक क्षमता और यात्राओं से संबंधित विषयों का नियंत्रण करता है। इसे कलत्र भाव या दाम्पत्य भाव के नाम से भी जाना जाता है। इस भाव में विभिन्न राशियों की स्थिति के फलित परिणामों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है। जानें सातवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव
सातवें भाव का महत्व विवाह और दांपत्य जीवन के साथ-साथ व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों में भी अत्यधिक है। यह भाव न केवल वैवाहिक सुख-दुख को दर्शाता है, बल्कि व्यापारिक कौशल और शारीरिक क्षमता के पहलुओं को भी प्रभावित करता है। राशियों की स्थिति के अनुसार, इस भाव के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव और परिणाम उत्पन्न होते हैं।
मेष: मेष राशि के कलत्र भाव में स्थित होने पर जातक का जीवन साथी क्रूर और दुष्ट स्वभाव का होता है। यह व्यक्ति जातक से नहीं, बल्कि उसकी संपत्ति और धन से प्रेम करता है। उसकी अविश्वसनीयता और अनैतिक आचरण के कारण गृहस्थी में अशांति और विनाश के बीज बो दिए जाते हैं। व्यापारिक साझेदारी में भी यह व्यक्ति धोखा देने के अवसरों की तलाश में रहता है और उसकी बेचैनी उसे घर में स्थिर नहीं रहने देती, जिससे वह हमेशा भटकता रहता है।
वृष: वृष राशि के सातवें भाव में होने पर जातक को एक नम्र, शांत और पवित्र जीवन साथी प्राप्त होता है, जो अपने दाम्पत्य जीवन को संवारने के लिए हर संभव प्रयास करता है। इस जीवन साथी का व्यक्तित्व आकर्षक और मोहक होता है। जातक का जीवन साथी वफादार, समर्पित और धर्मपरायण होता है, जो रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। व्यापारिक साझेदारी के लिए भी जातक को एक अच्छा और विश्वसनीय साथी मिलता है, जो व्यवसाय में सफलता की ओर अग्रसर करता है।
मिथुन: मिथुन राशि के कलत्र भाव में स्थित होने पर जातक का जीवन साथी संवादात्मक और चंचल स्वभाव का होता है। यह व्यक्ति सामाजिकता में विश्वास रखता है और अपने साथी के साथ संवाद स्थापित करने में माहिर होता है। इस राशि के प्रभाव से जातक को एक ऐसा साथी मिलता है, जो जीवन में विविधता और रोमांच लाने में सक्षम होता है। इस प्रकार, मिथुन राशि का कलत्र भाव जातक के दाम्पत्य जीवन में सकारात्मकता और उत्साह का संचार करता है।
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कर्क: कर्क राशि यदि कलत्र भाव में स्थित हो, तो जातक को एक आकर्षक, मनमोहक और सौभाग्यशाली जीवन साथी प्राप्त होता है। यह जीवन साथी न केवल मधुर और शिष्ट स्वभाव का होता है, बल्कि यह निष्कलंक और अच्छी सलाह देने वाला भी होता है। यदि जन्मकुंडली में लग्न और सातवां भाव कमजोर या दुष्प्रभावित नहीं हैं, तो ऐसे जातक की गृहस्थी और किस्मत दोनों ही बेहतर हो जाती हैं।
सिंह: जब सातवें भाव में सिंह राशि होती है, तो जातक को एक उग्र स्वभाव और दुष्ट प्रवृत्ति वाला जीवन साथी मिलता है। यह जीवन साथी आलसी, रोगी और कमजोर शरीर का होता है, जो अपने घर में अधिक समय नहीं बिताता और इधर-उधर भटकता रहता है। इसके अलावा, यह धन का लोभी भी होता है और इसका स्वभाव भी बहुत उग्र होता है, जिससे जातक के जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
कन्या: विवाह भाव में कन्या राशि की स्थिति संतानोत्पत्ति के मामले में सुखद नहीं मानी जाती। ऐसे जातक को एक सुंदर, सुशील और गुणवान जीवन साथी मिलता है, जो मधुर भाषी और साथ निभाने वाला होता है। हालांकि, यह जीवन साथी भोगी प्रवृत्ति का भी होता है, लेकिन इसकी विशेषताएँ अधिक सकारात्मक नहीं होती हैं।
तुला: तुला राशि का दाम्पत्य सुखों के संदर्भ में विशेष महत्व है, जो संतानों की अधिकता का संकेत देती है। इस राशि के जातकों के लिए पुत्रों की संख्या अधिक होती है। ऐसे जातक का जीवनसाथी धार्मिक, शांत स्वभाव वाला और अपने गुणों में आत्ममुग्ध होता है। इसके साथ ही, वह सभी के प्रति विनम्र और शिष्ट व्यवहार करता है।
वृश्चिक: वृश्चिक राशि के कलत्र भाव में स्थिति के परिणामस्वरूप जातक को एक ऐसा जीवनसाथी प्राप्त होता है, जो सुंदर, शिक्षित और विनम्र होता है। इसके अलावा, यह जीवनसाथी विभिन्न कलाओं में निपुण होता है, लेकिन उसकी कुछ नकारात्मक विशेषताएँ भी होती हैं। वह कंजूस, भविष्य के प्रति चिंतित और आत्मविश्वास की कमी से ग्रस्त होता है, जिससे उसकी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का संकेत मिलता है।
धनु: धनु राशि के सातवें भाव में होने पर जातक को एक ऐसा जीवनसाथी मिलता है, जो निर्लज्ज, दुष्ट और अहंकारी होता है। इसके साथ ही, यह जीवनसाथी कलहकारी और दूसरों के दोषों को देखने वाला होता है, जिससे दाम्पत्य जीवन में तनाव और संघर्ष की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इस प्रकार, धनु राशि के जातकों के लिए दाम्पत्य जीवन में चुनौतियाँ अधिक होती हैं।
मकर राशि: यदि जन्मकुंडली के सातवें भाव में स्थित हो, तो यह जातक के दाम्पत्य जीवन के लिए एक कठिनाई का संकेत देती है। ऐसे जातक का जीवन साथी अक्सर निर्लज्ज, अधम और अनैतिक प्रवृत्तियों का धनी होता है। यह व्यक्ति धर्म का दिखावा करने वाला, लोभी, क्रूर और दुष्ट होता है, जिससे गृहस्थी का जीवन नर्क के समान हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, न केवल वह स्वयं दुखी रहता है, बल्कि दूसरों को भी अपनी दुखद कहानियों से प्रभावित कर दुखी करता है।
कुंभ राशि: इस राशि का कलत्र भाव में होना भी सुखदायक नहीं माना जा सकता। इस स्थिति में जातक को एक ऐसा जीवन साथी मिलता है, जो दुष्ट स्वभाव का होता है, लेकिन इसके साथ ही उसमें दयालुता और धर्म के प्रति श्रद्धा भी होती है। यह व्यक्ति देवों और विद्वानों की सेवा करने में विश्वास रखता है, जिससे जातक के जीवन में कुछ सकारात्मकता भी बनी रहती है।
मीन राशि: इस राशि का सातवें भाव में होना जातक के लिए कई समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। इस स्थिति में जीवन साथी का स्वास्थ्य खराब होता है और वह कुबुद्धि तथा दुष्ट संतान को जन्म देने वाला होता है। यह व्यक्ति अपने में ही मग्न रहता है और संतानों को उचित संस्कार देने का समय नहीं निकाल पाता। इस प्रकार, जातक का दाम्पत्य जीवन भी कठिनाइयों से भरा होता है।