नौवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव:12 signs in the 9th House in Hindi

नौवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव

लक्ष्मी नारायण के अनुसार, नौवां भाव कुंडली में भाग्य, धर्म और पितृ भाव का प्रतीक है। यह भाव अंतरात्मा, धर्मनिष्ठा, कल्पना, अन्तःप्रेरणा, कानून, दर्शन, विज्ञान, साहित्य, ख्याति, सहानुभूति, नेतृत्व, धर्मार्थ कार्य, रहस्यमयी विद्याओं का ज्ञान, बड़ी यात्राएं, विदेश यात्राएं, पौत्र-पौत्रियों, कल्पनाशक्ति और पिता के गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव में विभिन्न राशियों की स्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। जानें नौवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव

नौवें भाव का फलित विभिन्न राशियों के प्रभाव से निर्धारित होता है, जो कि कुंडली में उनकी स्थिति के अनुसार बदलता है। इस भाव के माध्यम से व्यक्ति की धार्मिकता, ज्ञान और यात्रा के अनुभवों का भी पता चलता है, जो उसके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, नौवां भाव न केवल भाग्य का संकेत देता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करता है।

मेष: मेष राशि के नौवें भाव में होने पर जातक धर्म के प्रति समर्पित, दानशील और दयालु होता है। वह औपचारिक शिक्षा की अपेक्षा व्यावहारिक ज्ञान को अधिक महत्व देता है। सामान्यतः, ऐसे जातक पशुपालन में संलग्न रहते हैं और पशु उत्पादों के माध्यम से अच्छी आय प्राप्त करते हैं।

वृष: वृष राशि के नौवें भाव में स्थित होने पर जातक अत्यधिक धनवान और दानवीर बनता है। उसका धन का भंडार कभी समाप्त नहीं होता और वह गोदान, भूषण दान, तथा भोजन दान में उदारता से भाग लेता है, साथ ही धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को व्यतीत करता है।

मिथुन: मिथुन राशि के भाग्य और धर्मभाव में होने से जातक गरीबों का सहायक, अतिथियों, ब्राह्मणों और महात्माओं की सेवा करने वाला, और विनम्र तथा मधुर स्वभाव का व्यक्ति बनता है। उसकी आय के कई ज्ञात और अज्ञात स्रोत होते हैं, जो उसे विभिन्न अवसरों पर आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं।

कर्क: कर्क राशि के नौवें भाव में होने से जातक तीर्थ यात्रा करने वाला, धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाला, वनवास में रहने वाला और व्रत-उपवास तथा नियमों का पालन करने वाला व्यक्ति बनता है। इस स्थिति में जातक का जीवन धार्मिकता और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण होता है, जिससे वह अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहता है।

सिंह: सिंह राशि की नौवें भाव में स्थिति जातक को अपने धर्म से विमुख कर दूसरे धर्मों में रुचि लेने वाला बना देती है। इस प्रकार का व्यक्ति अक्सर विनयहीन और बाहरी संस्कृतियों में जीने वाला होता है। इसके परिणामस्वरूप, वह अपने जीवन में भौतिकता के पीछे भागता है, जिससे न केवल उसका वर्तमान बल्कि भविष्य भी संकट में पड़ जाता है। इसके अलावा, वह अपने पिता की प्रतिष्ठा को भी हानि पहुंचाता है।

कन्या: कन्या राशि के भाग्य और धर्म भाव में होने से जातक धार्मिकता का दिखावा करने वाला पाखंडी बन जाता है। उसकी प्रवृत्तियाँ विषयों की ओर आकर्षित होती हैं, और उसमें दासत्व तथा स्त्रैणता की अधिकता होती है। विपत्ति के समय में वह धर्मभीरू हो जाता है, लेकिन जैसे ही संकट टलता है, वह अपने पुरातन संस्कारों को तिरस्कृत करने लगता है।

तुला: यदि नौवें भाव में तुला राशि स्थित है, तो जातक की पहचान एक प्रसिद्ध, धनी और धर्मनिष्ठ व्यक्ति के रूप में होती है। ऐसे व्यक्ति में रहस्यमयी विद्याओं का ज्ञान होता है और वह देश-विदेश की यात्रा करने का शौक रखते हैं। तीर्थाटन के प्रति उनकी रुचि उन्हें अति विद्वान और संस्कारी बनाती है। इसके साथ ही, वह अतिथियों, ब्राह्मणों, गुरुजनों और देवताओं के प्रति श्रद्धा रखते हैं और अपने पिता की कीर्ति को बढ़ाने में योगदान देते हैं।

वृश्चिक: जब वृश्चिक राशि नौवें भाव में होती है, तो जातक की विशेषताएँ नकारात्मक रूप में प्रकट होती हैं। ऐसे व्यक्ति में पाखंड, अहंकार और संस्कारों की कमी होती है। वह स्वयं दूसरों पर निर्भर रहता है, लेकिन अपने संसाधनों को दूसरों के पोषण में बर्बाद कर देता है। इस प्रकार, वह दुखी और दूसरों को दुखी करने वाला बन जाता है, जो उसके जीवन को कठिनाइयों से भर देता है।

धनु: धनु राशि के नौवें भाव में होने पर जातक धर्मपरायण और विद्वानों का भक्त होता है। वह योग्य व्यक्तियों, ब्राह्मणों, गुरुजनों और देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन सुसंस्कारी होता है और वह अपने संस्कारों के अनुसार आचरण करते हुए अपने कर्म और परिश्रम के माध्यम से सफलता प्राप्त करता है। इस प्रकार, धनु राशि के जातक का जीवन धर्म और ज्ञान के मार्ग पर अग्रसर होता है।

मकर: मकर राशि यदि नौवें भाव में स्थित हो, तो जातक धर्म और कर्म के प्रति समर्पित होता है। हालांकि, जब वह कठिन परिस्थितियों का सामना करता है, तो उसकी आस्था में कमी आ सकती है और वह निराशा का अनुभव कर सकता है।

कुंभ: कुंभ राशि के नौवें भाव में होने पर जातक धार्मिकता के प्रति झुकाव रखता है और समाज सेवा में सक्रिय रहता है। इस स्थिति के कारण वह उच्च पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है, जिससे वह शासकों और विद्वानों के बीच सम्मानित होता है।

मीन: मीन राशि यदि बारहवें भाव में धर्म और भाग्य के साथ हो, तो जातक एक विशिष्ट विद्वान बनता है, जो रहस्यमयी विद्याओं का ज्ञाता होता है। वह समाज के कल्याण के प्रति जागरूक रहता है और साहित्यिक कृतियों की रचना करता है। इसके साथ ही, वह तीर्थ यात्रा का भी शौकीन होता है, लेकिन उसकी धार्मिक सोच में वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी शामिल होता है, जिससे वह अंधविश्वासों से दूर रहता है।

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