आठवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव
लक्ष्मी नारायण के दृष्टिकोण से, आठवां भाव और बारह राशियों का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। यह भाव आयु, मृत्यु, मृत्यु के कारण, और मृत्यु के तरीकों के साथ-साथ बिना मेहनत से प्राप्त धन, वसीयत, अपमान, पद की हानि, दुख, कलंक, कठिनाइयों और नौकरों का संकेत देता है। इस भाव में विभिन्न राशियों की स्थिति के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। आठवां भाव जीवन के गहरे पहलुओं को दर्शाता है, जिसमें मृत्यु और उससे जुड़ी घटनाओं का विश्लेषण किया जाता है। इसके अंतर्गत उन परिस्थितियों का भी समावेश होता है जो व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयाँ और दुख लाती हैं। राशियों की स्थिति इस भाव के फल को प्रभावित करती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव उत्पन्न होते हैं। जानें आठवां भाव और 12 राशियों के प्रभाव
मेष: अष्ठम भाव में मेष राशि जातक को परिवार से दूर जाकर विदेश में बसने के लिए प्रेरित करती है। इस स्थिति में जातक का स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है और वह अपने अतीत की दुखद और अपमानजनक घटनाओं को याद करके जीवनभर दुखी रहता है। हालांकि वह धनवान बन जाता है, लेकिन उसे सच्ची सुख-शांति का अनुभव नहीं होता।
वृष: अष्ठम भाव में वृष राशि जातक को कफ से संबंधित रोगों के कारण मृत्यु की ओर ले जाती है। उसकी मृत्यु का कारण अत्यधिक भोजन, हिंसक पशुओं का आक्रमण या गलत संगति भी हो सकता है। सामान्यतः, जातक अपनी मृत्यु के समय अपने घर पर ही उपस्थित होता है।
मिथुन: अष्ठम भाव में मिथुन राशि जातक को यौन और रतिज रोगों, विषैले पदार्थों, लोभ, पापकर्म या शत्रुओं के जाल में फंसने के लिए प्रेरित करती है, जो अंततः उसकी मृत्यु का कारण बनता है। इस स्थिति में जातक को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
कर्क: कर्क राशि के लिए, यदि यह मृत्यु भाव में स्थित है, तो जातक की मृत्यु सामान्यतः स्वाभाविक नहीं होती। ऐसे जातक की मृत्यु अक्सर विषैले जीवों के काटने, विषाक्त पदार्थों के सेवन या जल में डूबने के कारण होती है। इसके अतिरिक्त, यह संभावना भी होती है कि जातक अपने घर से दूर, अनजान और परायों के बीच, पराई भूमि पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मारा जाए।
सिंह: सिंह राशि जब आठवें भाव में होती है, तो यह जातक को विभिन्न खतरों का सामना कराती है। इस स्थिति में जातक को जहरीले सांप के डसने, चोरों या डाकुओं द्वारा हत्या किए जाने, या जंगली जानवरों द्वारा शिकार बनाए जाने का खतरा होता है। इस प्रकार की स्थितियाँ जातक के जीवन में गंभीर संकट उत्पन्न कर सकती हैं।
कन्या: कन्या राशि के लिए, यदि यह मृत्यु भाव में है, तो जातक की मृत्यु अक्सर उसके कर्मों के परिणामस्वरूप होती है। ऐसे जातक अधिक भोग-विलास के कारण बीमार होकर मर सकते हैं, या फिर उनके जीवनसाथी द्वारा व्यभिचार के चलते जहर देकर हत्या की जा सकती है। इस प्रकार, कन्या राशि के जातक के लिए जीवन में कई चुनौतियाँ और जोखिम होते हैं।
तुला: तुला राशि के आठवें भाव में स्थित होने पर जातक की मृत्यु भुखमरी, भाग्य के दोष के कारण किसी दुर्घटना, या अनावश्यक जोखिम उठाने के कारण हो सकती है। यदि ऐसा व्यक्ति सामान्य जीवन जीता है, तो वह स्वाभाविक मृत्यु का भी अनुभव कर सकता है।
वृश्चिक: वृश्चिक राशि के अष्टम भाव में होने पर जातक की मृत्यु जहर सेवन करने, जहरीले कीड़ों के काटने, या रक्त विकार से संबंधित बीमारियों के कारण हो सकती है। इस स्थिति में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
धनु: धनु राशि के मृत्यु भाव में होने पर जातक गुदा संबंधी बीमारियों, चौपाए पशुओं के आघात, जल में डूबने, या झगड़े में तेज धार या नोकदार हथियार से घायल होकर मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार की स्थितियों से बचने के लिए सतर्क रहना आवश्यक है।
मकर: मकर राशि: जब मकर राशि आठवें भाव में होती है, तो जातक की आयु लंबी होती है। ऐसे व्यक्ति में विद्या, शिक्षा, उदारता, शास्त्रों का ज्ञान और विभिन्न कलाओं में दक्षता होती है। वह साहसी होने के साथ-साथ अत्यधिक कामुक भी होता है। सामान्यतः, वह अपनी स्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त करता है।
कुंभ: जब कुंभ राशि आठवें भाव में होती है, तो यह जातक को वृद्धावस्था में घर से बाहर कर देती है। उसे वायु और पित्त से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अत्यधिक श्रम के कारण उसके शरीर में थकान आ जाती है। इसके अलावा, आग से उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंच सकता है, और वह आग में जलकर भी मर सकता है।
मीन: जब मीन राशि मृत्यु भाव में होती है, तो यह जातक को जल में डूबने, रक्त संबंधी बीमारियों, पित्त ज्वर, अतिसार रोग, या हथियार के हमले से मृत्यु का सामना कराती है। इस स्थिति में जातक के लिए जीवन में कई चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, जो उसकी सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं।
Read Also: Your Lucky Gemstone
Read Also: Astrology & Gemstone