जन्म कुंडली में लग्नेश की 12 भावों में स्थिति जानें

जन्म कुंडली में लग्नेश की 12 भावों में स्थिति जानें दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से, लग्नेश किसी भी व्यक्ति के जीवन का अहम् हिस्सा होता है। लग्नेश यानी की वह ग्रह जो आपकी कुंडली के प्रथम भाव का स्वामी होता है। लग्नेश जब कुंडली के शुभ भाव में बैठता है तो व्यक्ति जीवन में बहुत अच्छी उनत्ति और तरक्की करता है, वहीं जब लग्नेश किसी अशुभ भाव में बैठ जाता है तो व्यक्ति को जीवन में बहुत से कष्टों के साथ परिश्रम भी करवा देता है। आइये जानते है लग्नेश की 12 भावों में स्थिति जब लग्नेश कुंडली के 12 भावों में बैठता है तो वह हर भाव अनुसार किस प्रकार का फल देता है।

जन्म कुंडली में लग्नेश की 12 भावों में स्थिति जानें

लग्नेश प्रथम भाव (लग्न) में: यदि लग्नेश प्रथम भाव में स्थित हो, तो जातक का स्वभाव स्वतंत्र और आत्मनिर्भर होता है। ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य और शक्ति सामान्यतः उत्तम रहती है, जिससे वह औसत से अधिक समय तक जीवित रह सकता है। वह अपने विचारों और जीवनशैली के अनुसार जीने में विश्वास रखता है, और धन तथा संपत्ति अर्जित करने में सफल होता है। इसके अतिरिक्त, उसके जीवन में आमतौर पर दो विवाह होते हैं, जिसमें एक कानूनी और दूसरा अनौपचारिक संबंध हो सकता है।

लग्नेश दूसरे (धन भाव) में: जब लग्नेश दूसरे भाव में होता है, तो जातक को धन और अन्य सफलताओं में वृद्धि देखने को मिलती है। ऐसे व्यक्ति का चरित्र अच्छा, प्रतिष्ठित और उदार होता है। हालांकि उसका शरीर स्थूल हो सकता है, फिर भी वह औसत से अधिक जीवन जीता है। वह महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी होता है, साथ ही अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने में तत्पर रहता है। इसके बावजूद, वह अपने शत्रुओं और प्रतिद्वंद्वियों के प्रति चिंतित और सतर्क रहता है।

लग्नेश तीसरे (पराक्रम) भाव में: जब लग्नेश तीसरे भाव में स्थित होता है, तो जातक साहस, सौभाग्य, सम्मान और प्रतिष्ठा से परिपूर्ण होता है। ऐसे व्यक्ति में बुद्धिमत्ता और सुख का अनुभव होता है, साथ ही वह अपने बंधु-बांधवों और मित्रों के साथ घिरा रहता है। इस स्थिति में जातक एक से अधिक विवाह करने की संभावना रखता है। यदि लग्नेश इस भाव में मजबूत स्थिति में है, तो जातक के उत्थान में उसके सहोदर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, वह संगीत या गणित के क्षेत्र में भी उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है। इस फलित का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि पराक्रम भाव में कौन-सी राशि स्थित है। ऐसे जातक को भूमि और अन्य अचल सम्पत्तियों से लाभ प्राप्त होता है।

लग्नेश चतुर्थ भाव (संस्कार) में: जब लग्नेश चतुर्थ भाव में होता है, तो जातक को माता-पिता और भाई-बहनों से भरे-पूरे परिवार का स्नेह और सुख प्राप्त होता है। यदि यह भाव मजबूत है और दुष्प्रभावों से मुक्त है, तो जातक को विशेष रूप से मातृपक्ष से भूमि सम्पत्ति विरासत में मिलती है। इस स्थिति में जातक विभिन्न प्रकार की सम्पत्तियों जैसे भू-भवन और वाहनों से सम्पन्न होता है, जिससे उसकी धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। इस प्रकार, चतुर्थ भाव में लग्नेश की स्थिति जातक के पारिवारिक जीवन और सम्पत्ति के मामले में महत्वपूर्ण होती है।

लग्नेश पंचम (संतान) भाव में: लग्नेश का पंचम भाव में होना जातक के लिए संतान के मामले में सामान्यतः अच्छे परिणाम नहीं लाता है। अक्सर, जातक की पहली संतान जीवित नहीं रहती और अन्य संतानों से भी उसे अपेक्षित सुख की प्राप्ति नहीं होती। इस स्थिति में जातक का स्वभाव तुनकमिजाज होता है और वह प्रायः नौकरी करता है। फिर भी, जातक दीर्घजीवी, यशस्वी, श्रेष्ठ कार्य करने वाला और धर्म के प्रति समर्पित होता है।
यदि जातक व्यापार, वाणिज्य या कूटनीति के क्षेत्र में कार्यरत है, तो वह सफलता, धन और यश प्राप्त कर सकता है, बशर्ते कि पंचम भाव मजबूत और शुभ प्रभाव वाला हो। इसके विपरीत, यदि यह भाव कमजोर या दुष्प्रभावित है, तो जातक को अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। इस भाव के दुष्प्रभावित होने के कारण जातक निःसंतान भी रह सकता है।

लग्नेश छठे (शत्रु)भाव में: जब लग्नेश छठे भाव में स्थित होता है, तो जातक एक स्वस्थ, शक्तिशाली और निडर व्यक्ति के रूप में उभरता है, जो कठिनाइयों और विपत्तियों का साहसपूर्वक सामना करता है। ऐसे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कभी स्थिर होती है, कभी वह ऋण लेकर भी अपने जीवन को चलाता है। लग्नेश की दशा और अन्तर्दशा के दौरान, वह अपने ऋण को चुकाने में सक्षम होता है। यदि छठा भाव मजबूत और शुभ प्रभावों से युक्त हो, तो जातक किसी प्रतिष्ठित संस्थान या सेना में उच्च पद प्राप्त कर सकता है।
इस स्थिति में जातक स्वास्थ्य सेवाओं या चिकित्सा क्षेत्र से भी जुड़ सकता है, और वह एक कुशल चिकित्सक या शल्य चिकित्सक बनने की क्षमता रखता है। इसके अलावा, वह धन के अपव्यय से दुखी होता है, क्योंकि वह अपने संसाधनों का सही उपयोग करना चाहता है। इस प्रकार, लग्नेश का छठे भाव में होना जातक के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता और सामाजिक स्थिति में वृद्धि होती है।

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लग्नेश सप्तम (विवाह) भाव में: जब लग्नेश सप्तम भाव में स्थित होता है, तो यह जीवन साथी और यौन संबंधों का संकेत देता है, लेकिन इसके परिणाम हमेशा सुखद नहीं होते। इस स्थिति में जातक के जीवन साथी की असमय मृत्यु हो सकती है या जातक के एक से अधिक विवाह भी हो सकते हैं। ऐसे जातक अक्सर मध्य आयु में पहुंचकर भौतिक सुखों से दूर हो जाते हैं और साधारण जीवन जीने की ओर अग्रसर होते हैं। इसके साथ ही, जातक के जीवन में भटकाव भी आ सकता है, जिससे वह बार-बार यात्रा करने के लिए प्रेरित होता है। हालांकि, ऐसे जातक में तेजस्विता होती है और उन्हें एक सुशील और सुंदर जीवन साथी भी प्राप्त होता है।
यदि सप्तम भाव मजबूत और शुभ प्रभावित है, तो जातक धनवान हो सकता है, जबकि कमजोर और दुष्प्रभावित होने पर जातक निर्धनता का सामना कर सकता है। जब सप्तम भाव की स्थिति अच्छी होती है, तो जातक का अधिकांश समय विदेशों में आनंदित जीवन व्यतीत करने में बीतता है। इसके विपरीत, यदि यह कमजोर है, तो जातक घर-परिवार में सास-ससुर के नियंत्रण में रहकर एक प्रकार से खिलौने की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है। इस प्रकार, सप्तम भाव की स्थिति जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है।

लग्नेश अष्टम (मृत्यु) भाव में: जब लग्नेश अष्टम भाव में स्थित होता है, तो जातक एक विद्वान के रूप में उभरता है, जो रहस्यमयी विद्याओं में गहरी रुचि रखता है। हालांकि, उसके स्वभाव में ओछापन और चरित्र में कमी हो सकती है। ऐसे जातक में जोखिम उठाने की प्रवृत्ति होती है, और वह वास्तविक जुआरी के रूप में भी पहचान सकता है। इसके अलावा, वह कंजूस और दीर्घायु होने की प्रवृत्ति रखता है।
यदि अष्टम भाव मजबूत और शुभ प्रभावों से युक्त हो, और लग्नेश उसमें मजबूती से स्थित हो, तो जातक एक मिलनसार और धर्म के प्रति निष्ठावान व्यक्ति बनता है। वह हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता है और शांतिप्रियता का परिचय देता है। ऐसे जातक की मृत्यु आमतौर पर शांतिपूर्वक और अचानक होती है।

लग्नेश नवम (धर्म व भाग्य) भाव में: जब लग्नेश नवम भाव में स्थित होता है, तो जातक आमतौर पर भाग्यशाली और धर्म के प्रति समर्पित होता है। ऐसे जातक निर्बलों की सहायता करने में अग्रणी रहते हैं और शुभ तथा पुण्य कार्यों में संलग्न रहते हैं। उन्हें एक संपन्न परिवार का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे वे अपने रिश्तेदारों, मित्रों, जीवनसाथी और संतानों से भरपूर सुख का अनुभव करते हैं। इसके अलावा, वे कुशल वक्ता, धनवान और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व के धनी होते हैं।
यदि लग्नेश इस भाव में मजबूत स्थिति में हो और दुष्प्रभावों से मुक्त हो, तो जातक को अपने पूर्वजों और पिता की धन-संपत्ति विरासत में प्राप्त होती है। ऐसे जातक के पिता भी प्रतिष्ठित, धर्मनिष्ठ और प्रसिद्ध होते हैं, जो जातक के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इस प्रकार, नवम भाव में लग्नेश की स्थिति जातक के जीवन में अनेक सुख और समृद्धि का संचार करती है।

लग्नेश दशम (कर्म)भाव में: जब लग्न भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित होता है, तो जातक भौतिक दृष्टि से समृद्ध, स्वस्थ और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है। ऐसे व्यक्ति में सुख, प्रसिद्धि और अच्छे संस्कारों का समावेश होता है। वह किसी विशेष विषय का विशेषज्ञ या अनुसंधानकर्ता होता है, जो लग्न और दशम भाव के द्वारा दर्शाए गए क्षेत्र में गहरी समझ रखता है।
इस स्थिति में जातक अपने व्यवसाय में उत्कृष्टता प्राप्त करता है और उसे शासन या समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मान-सम्मान प्राप्त होता है। उसकी मेहनत और ज्ञान के कारण वह समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाता है, जिससे उसकी पहचान और भी मजबूत होती है।

लग्नेश एकादश (लाभ) भाव में: यदि लग्नेश एकादश भाव में विराजमान हो, तो जातक अपने परिवार और रिश्तेदारों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने में तत्पर रहता है। वह महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी होता है, जिसके कारण वह अच्छे चरित्र और उदारता का परिचय देता है। इस स्थिति में जातक धन और संपत्ति को अच्छी मात्रा में अर्जित करने में सक्षम होता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
व्यापारी जातक के लिए यह स्थिति विशेष रूप से लाभकारी होती है, क्योंकि उसे वित्तीय संकट का सामना नहीं करना पड़ता। उसकी दूरदर्शिता और उदारता उसे न केवल आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाती है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी उसे एक सम्मानित स्थान दिलाती है। इस प्रकार, लग्नेश की स्थिति जातक के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालती है।

लग्नेश द्वादश (व्यय) भाव में: जब लग्नेश बारहवें भाव में, जिसे व्यय भाव या शयन सुखों का भाव कहा जाता है, स्थित होता है, तो जातक विद्वान और धर्म के प्रति निष्ठावान होता है। इसके साथ ही, वह रहस्यमयी विद्याओं में गहरी रुचि रखता है और जोखिम उठाने की प्रवृत्ति भी प्रदर्शित करता है। ऐसे जातक को व्यवसाय या व्यापार में कई बार घाटे का सामना करना पड़ सकता है। उसकी व्यापारिक गतिविधियों में सफलता या तो बहुत कम होती है या फिर उसे सफलता का अनुभव नहीं होता है।
इस जातक की भावनाएँ संतुलित होती हैं और वह विरासत में मिली संपत्ति को धर्मार्थ कार्यों में लगाना पसंद करता है। इसके अलावा, उसे देश-विदेश की यात्रा करने और तीर्थाटन करने का भी विशेष शौक होता है। इस प्रकार, लग्नेश का बारहवें भाव में होना उसके व्यक्तित्व और जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है।

आपने जाना लग्नेश की 12 भावों में स्थिति के अनुसार व्यक्ति के जीवन में अच्छे बुरे, शुभ अशुभ प्रभाव आते है, जिसे हर व्यक्ति को सामना करते हुए अपने जीवन को व्यतीत करना होता है।

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