पंचमेश की विभिन्न भावों में स्थिति-Panchamesh in 12 houses

Panchamesh in 12 houses: इस पोस्ट में हम यह जानेंगे की जब पंचम भाव का स्वामी जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में होता है तो जातक को किस प्रकार की स्तिथियों का सामना करना पड़ सकता है। आइये विस्तार से हर भाव अनुसार जानें पंचमेश की विभिन्न भावों में स्थिति

पंचमेश की लग्न भाव में स्तिथि : पंचमेश की स्थिति जब जन्मकुंडली के पहले भाव में मजबूत और शुभ प्रभाव में होती है, तो जातक उच्च पदों पर जैसे न्यायाधीश या मंत्री के रूप में कार्य कर सकता है। इस स्थिति में जातक में बुराइयों और नकारात्मक प्रवृत्तियों के प्रति दंड देने की क्षमता होती है। उसकी न्यायप्रियता और दबावों के सामने न झुकने की प्रवृत्ति उसे समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाती है। ईश्वर की कृपा से वह ज्ञानी, विद्वान और समृद्ध होता है, और उसके पास कई सेवक होते हैं। हालांकि, उसकी संतानों की संख्या कम होती है, जबकि शत्रुओं की संख्या अधिक होती है।
इसके विपरीत, यदि पंचमेश लग्न भाव में कमजोर या दुष्प्रभावित होता है, तो जातक संतानहीन और जादू-टोने में विश्वास करने वाला बन जाता है। इस स्थिति में वह शैतानी शक्तियों का अनुयायी और असामाजिक प्रवृत्तियों का व्यक्ति होता है। ऐसे जातक अक्सर चकमेबाजों और धूर्तों के गिरोह का नेता बन जाते हैं, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति और भी कमजोर हो जाती है। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है, जो उसके व्यक्तित्व और सामाजिक संबंधों को निर्धारित करती है।

पंचमेश की धन भाव में स्तिथि : पंचमेश की धन भाव में स्थिति का प्रभाव जातक के जीवन पर गहरा होता है। यदि पंचमेश धन भाव में शुभ और मजबूत स्थिति में है, तो जातक को एक आदर्श जीवन साथी और शिष्ट व्यवहार वाली संतान का वरदान प्राप्त होता है। ऐसे जातक विद्वान बनते हैं और उनके पास विशाल संपत्ति होती है। इसके साथ ही, वे ज्योतिष, कला या साहित्य के क्षेत्र में भी उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें समाज में मान्यता और सम्मान मिलता है।
इसके विपरीत, यदि पंचमेश धन भाव में कमजोर या दुष्प्रभावित है, तो जातक की स्थिति विपरीत होती है। ऐसे जातक आर्थिक तंगी का सामना करते हैं और सरकारी अधिकारियों के कोप का शिकार होते हैं। परिवार का भरण-पोषण करना उनके लिए कठिन हो जाता है, जिससे परिवार में अशांति और समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस स्थिति में जातक अक्सर छोटे-मोटे धंधों या तंत्र-मंत्र के माध्यम से अपनी आजीविका चलाने की कोशिश करते हैं।
इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। एक मजबूत और शुभ पंचमेश जातक को सफलता, सम्मान और सुख-समृद्धि प्रदान करता है, जबकि एक कमजोर पंचमेश कठिनाइयों और संघर्षों का कारण बनता है। इसलिए, ज्योतिष में पंचमेश की स्थिति का विश्लेषण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि जातक अपने जीवन में सुधार कर सके।

पंचमेश की पराक्रम भाव में स्तिथि : पंचमेश की पराक्रम भाव में स्थिति का विश्लेषण करते समय, यदि पांचवें भाव का स्वामी तीसरे भाव में स्थित है और वह मजबूत, शुभ तथा सुप्रभावित है, तो जातक एक गुणी संतान का जन्मदाता होता है। ऐसे जातक के पास अच्छे भाई-बंधु होते हैं और उसकी वाणी मधुर तथा व्यवहार शिष्ट होता है। (पंचमेश की विभिन्न भावों में स्थिति) वह अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्वों का पालन करने में तत्पर रहता है, जिससे परिवार में सामंजस्य और सुख-शांति बनी रहती है।
इसके विपरीत, यदि पांचवें भाव का स्वामी तीसरे भाव में कमजोर, अशुभ और दुष्प्रभावित है, तो जातक को संतान की मृत्यु, भाई-बंधुओं के साथ मतभेद और व्यवसाय में निरंतर कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक की स्थिति फिसड्डी और घिनौनी होती है, जिससे उसके जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।

पंचमेश की चतुर्थ भाव में स्तिथि : पंचमेश की चतुर्थ भाव में स्थिति का विशेष महत्व होता है। जब पंचमेश शुभ, सशक्त और सकारात्मक प्रभावों से युक्त होता है, तो जातक को सीमित संख्या में संतानों का लाभ मिलता है, जिनमें से एक संतान कृषि क्षेत्र में कार्यरत हो सकती है। इसके अलावा, जातक की माता का जीवन दीर्घकालिक होता है और जातक स्वयं किसी शासक के सलाहकार या मार्गदर्शक की भूमिका में कार्यरत रहते हैं।
इसके विपरीत, यदि पंचमेश कमजोर, अशुभ और नकारात्मक प्रभावों से ग्रसित हो, तो जातक को संतानों की मृत्यु का दुःख सहन करना पड़ सकता है। यदि पंचमेश में दोनों प्रकार के प्रभाव मौजूद हों, तो जातक को केवल पुत्रियों की प्राप्ति हो सकती है और वह पुत्र सुख से वंचित रह सकता है। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

पंचमेश की संतान भाव में स्तिथि: पंचमेश की स्थिति और उसके प्रभाव का जातक के जीवन पर गहरा असर होता है। यदि पंचमेश अपने ही भाव में स्थित हो, मजबूत और शुभ प्रभाव वाला हो, तो जातक कई संतानें प्राप्त करेगा। ऐसे जातक अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करेगा और एक प्रतिष्ठित विद्वान के रूप में पहचाना जाएगा। वह शासकों का करीबी मित्र होगा और समाज में उसकी एक विशेष पहचान बनेगी। इसके अतिरिक्त, वह मंत्र शास्त्र, गणित या ज्योतिष में विशेषज्ञता हासिल कर सकता है या किसी धार्मिक संस्था का नेतृत्व भी कर सकता है।
इसके विपरीत, यदि पंचमेश कमजोर और दुष्प्रभावित हो, तो जातक की मानसिक स्थिति अस्थिर हो सकती है। ऐसे जातक में निर्दयता की प्रवृत्ति देखने को मिल सकती है, और वह अपने वचनों का पालन नहीं करेगा। इस स्थिति में, उसे विश्वसनीयता की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसके सामाजिक संबंध प्रभावित होंगे।
इसके अलावा, कमजोर पंचमेश के कारण जातक के बच्चों के लिए भी खतरा बना रह सकता है। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है, जिसमें उसके पारिवारिक जीवन से लेकर सामाजिक प्रतिष्ठा तक शामिल है। इसलिए, पंचमेश की स्थिति का सही आकलन करना आवश्यक है।

पंचमेश की रोग, ऋण व शत्रु भाव में स्तिथि : पंचमेश की स्थिति जब छठे भाव में मजबूत और शुभ प्रभाव में होती है, तो जातक का मामा एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बनता है। इस स्थिति में जातक की संतान के साथ संबंध ठीक नहीं रहते हैं। यदि पंचमेश कमजोर और दुष्प्रभावित हो, तो जातक निःसंतान रह सकता है और उसे अपने मामा के परिवार से किसी बच्चे को गोद लेने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
इसके अतिरिक्त, जातक की स्वास्थ्य स्थिति भी प्रभावित हो सकती है, जिससे वह स्वयं रोगी रह सकता है। आर्थिक दृष्टि से भी जातक की स्थिति सीमित रह सकती है, जिससे उसे गुजारे लायक ही जीवन यापन करना पड़ सकता है। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालती है।

पंचमेश की कलत्र भाव में स्तिथि : पंचमेश की कलत्र भाव में स्थिति का विश्लेषण करते समय यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि यदि पांचवें भाव का स्वामी, जो दाम्पत्य भाव अर्थात् सातवें भाव में स्थित है, मजबूत, शुभ और सुप्रभावित है, तो जातक की संतानें प्रतिभाशाली होती हैं। ऐसे जातक शिक्षा और कार्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त, जातक का पुत्र विदेश में निवास करता है और जातक कई संतानों का जन्मदाता भी बन सकता है। इस प्रकार के जातक आमतौर पर प्रसिद्ध, विद्वान और धन-समृद्धि से परिपूर्ण होते हैं।
जातक का व्यक्तित्व विश्वसनीय और वफादार होता है, जो चमत्कारिक रूप से आकर्षक होता है। वह देव, ब्राह्मण, अतिथि और गुरु का भक्त होता है, जो उसके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाता है। इसके अलावा, जातक का जीवन साथी भी मधुर, शिष्ट और सुशील होता है, जो उनके संबंधों को और भी मजबूत बनाता है। इस प्रकार, एक शुभ पंचमेश जातक के जीवन में सुख और समृद्धि का संचार करता है।
हालांकि, यदि पंचमेश सातवें भाव में कमजोर और दुष्प्रभावित हो, तो जातक को संतानों के प्रति दुख का सामना करना पड़ सकता है। (पंचमेश की विभिन्न भावों में स्थिति) ऐसी स्थिति में, जातक की एक संतान विदेश में नाम और प्रसिद्धि प्राप्त करने के बाद मृत्यु का सामना कर सकती है। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन में संतानों के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकती है।

पंचमेश की आयु भाव में स्तिथि : पंचमेश की आयु भाव में स्थिति का विश्लेषण करते समय यह स्पष्ट होता है कि जब पांचवे भाव का स्वामी आठवें भाव में स्थित होता है, तो यह अशुभ परिणामों का संकेत देता है। इस स्थिति के कारण जातक की पारिवारिक धन-संपत्ति कर्ज के बोझ तले दब जाती है, जिससे परिवार के लिए संकट उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त, जातक की मानसिक और शारीरिक स्थिति भी कमजोर होती है, जिससे वह दुखी और रोगग्रस्त रहता है, हालाँकि उसकी आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय नहीं होती।
इस प्रकार की स्थिति में जातक के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि फेफड़ों या श्वसन प्रणाली से संबंधित रोगों की संभावना अधिक होती है। जातक का जीवनसाथी या तो अनुपस्थित होता है या फिर उसके साथ लगातार कलह होती रहती है। इसके अलावा, जातक के भाई और संतान (यदि हैं) भी कलहप्रिय होते हैं, जिससे पारिवारिक संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है। इस प्रकार, पंचमेश की इस स्थिति का प्रभाव जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है।

पंचमेश की धर्म भाव में स्तिथि : पंचमेश की धार्मिक स्थिति का विश्लेषण करते समय यह देखा जाता है कि यदि पांचवें भाव का स्वामी नौवें भाव में स्थित है, तो जातक एक पंथ प्रचारक या शिक्षक के रूप में उभरता है। ऐसे जातक प्राचीन मंदिरों, कुओं और उद्यानों के पुनर्निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उनके एक पुत्र का समाज में कुशल वक्ता या विशिष्ट लेखक के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसके अतिरिक्त, जातक साहित्यकार या ज्योतिष विद्वान के रूप में भी अपनी पहचान बना सकता है।
हालांकि, यदि पंचमेश इस भाव में कमजोर या दुष्प्रभावित होता है, तो जातक दैवीय शाप का शिकार हो जाता है। इस स्थिति में उसके सभी सौभाग्य नष्ट हो जाते हैं, जिससे उसकी जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो उसके सामाजिक और व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करती है।

पंचमेश की कर्म भाव में स्तिथि : पंचमेश की दशा यदि दसवें भाव में सशक्त, शुभ और सकारात्मक प्रभाव के साथ होती है, तो यह राजयोग का निर्माण करती है। ऐसे जातक को भूमि और संपत्ति की प्राप्ति होती है, साथ ही उसे शासक वर्ग का समर्थन और विश्वास भी मिलता है। वह धार्मिक कार्यों का आयोजन करता है और धर्मस्थल का निर्माण कराता है। (पंचमेश की विभिन्न भावों में स्थिति) उसकी संतानों में से कोई एक ‘कुलरत्न’ या कुलदीपक के रूप में उभरता है। यदि इस भाव का कारक सूर्य भी इसी भाव में स्थित हो या इस पर दृष्टि डालता हो, तो जातक खोजी पत्रकारिता या गुप्तचर संस्थाओं में कार्य करने का अवसर प्राप्त कर सकता है।
दूसरी ओर, यदि पंचमेश दसवें भाव में कमजोर और नकारात्मक प्रभाव में हो, तो जातक के स्वभाव में विद्रोह की प्रवृत्ति विकसित होती है और वह शासकों के प्रति असंतोष का शिकार बन जाता है। इस स्थिति में जातक का जीवन संघर्ष और चुनौतियों से भरा होता है, जिससे उसकी सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, पंचमेश की स्थिति जातक के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो उसके कार्यक्षेत्र और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करती है।

पंचमेश की लाभ भाव में स्तिथि : जब पंचमेश ग्यारहवें भाव में होता है, तो जातक को योग्य संतानें प्राप्त होती हैं, जो उसे सुख और लाभ प्रदान करती हैं। इस स्थिति में जातक अपने व्यवसाय और अन्य कार्यों में सफलता हासिल करता है, जिससे वह धनवान बनता है। (पंचमेश की विभिन्न भावों में स्थिति) उसकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान उसे समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाते हैं, और वह हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता है।
इस प्रकार, जातक की यह स्थिति उसे एक सफल लेखक बनने की क्षमता भी प्रदान करती है। उसकी रचनात्मकता और विचारशीलता उसे साहित्यिक क्षेत्र में पहचान दिला सकती है। इस प्रकार, पंचमेश की यह स्थिति जातक के जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन लाती है, जिससे वह न केवल व्यक्तिगत रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी उन्नति करता है।

पंचमेश की व्यय भाव में स्तिथि : पंचमेश यदि बारहवें भाव में स्थित हो, तो जातक के भीतर सांसारिक मोह और माया से दूर रहने की प्रवृत्ति विकसित होती है। ऐसे व्यक्ति का जीवन संन्यासी या वैरागी के समान होता है, जो हमेशा चरम सत्य की खोज में लगा रहता है। उसकी प्रवृत्ति स्थिरता से दूर होती है, और वह निरंतर गतिशीलता में रहता है।
इस स्थिति में जातक का मन भौतिक सुख-सुविधाओं से विमुख हो जाता है, जिससे वह आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होता है। वह एक स्थान पर रुकने के बजाय, विभिन्न स्थानों की यात्रा करता है, जिससे उसकी आत्मा की गहराई में जाकर सत्य की खोज की प्रक्रिया जारी रहती है। इस प्रकार, पंचमेश की बारहवें भाव में स्थिति उसे एक अद्वितीय जीवन दृष्टिकोण प्रदान करती है।

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