मकर संक्रांति का पर्व क्यों अत्यंत महत्वपूर्ण है

मकर संक्रांति का दिन हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण पर्व है इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है।

मकर संक्रांति का पर्व क्यों अत्यंत महत्वपूर्ण है

Makar Sankranti के दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते है, इस दिन को बहुत शुभ और देवताओं का दिन माना जाता है। इस दिन से जीवन में सुख समृद्धि और उनत्ति के मार्ग खुलते है। पूजा पाठ, सूर्य देव को अर्घ्य देना, सूर्य मंत्रो का जाप करना और गरीबों को तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन से दिन छोटे और रातें लम्बी होनी शुरू हो जाती है, इस दिन से सूर्यदेव मकर राशि में 6 महीनें तक रहते है। दिनों सूर्य की किरणों को सकारात्मक, जीवन में शुभता और सेहत के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। Makar Sankranti से जीवन के मांगलिक और शुभ कार्यो को करने की सलाह दी जाती है।

Makar Sankranti मनाने का क्या कारण है?

मकर संक्रांति इसलिए मनाया जाता है की इस दिन चल रहे खरमास ख़त्म होते है, खरमास में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है, और मकर संक्रांति के दिन खरमास ख़त्म होकर शुभ और मांगलिक कार्य करने के दिनों की शुरुआत होती है। दूसरा यह भी मान्यता है की इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते है। Makar Sankranti का दिन विशेष तौर पर उन व्यक्तियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जिनकी कुंडली में सूर्य अशुभ या नीच के होकर बैठे है, इस दिन ऐसे व्यक्तियों के सूर्य देव की पूजा, मन्त्र जप और दान पुण्य करने से सूर्य के अशुभ प्रभाव ख़त्म होते है।

Makar Sankranti मनाने पौराणिक महत्व

मकर संक्रांति मनाने पौराणिक महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, महाभारत के 18 दिनों के युद्ध के दौरान भीष्म पितामह को युद्ध में परास्त करना संभव नहीं था, ऐसे में अर्जुन ने शिखंडी की मदद से भीष्म पितामह के पुरे शरीर को बाणों से भेद दिया, लेकिन भीष्म पितामह को यह वरदान था की जब तक वह स्वेच्छा से अपने प्राण नहीं त्यागेंगे तब तक वह मृत्यु को प्राप्त नहीं होंगे। 58 दिनों तक भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर रहे। 58 दिनों बाद जब भीष्म पितामह ने यह सुनिश्चित कर लिया की अब हस्तिनापुर सुरक्षित है और Makar Sankranti के दिन सूर्य उत्तारायण भी हो गया है तो इस दिन भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागे। मकर संक्रांति के दिन प्राण त्यागने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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