माणिक रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए

माणिक रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए/ किसी भी रत्न को धारण करने से पहले यह देखना जरुरी होता है की लग्न कुंडली में ग्रहों की दशा क्या है। लग्न कुंडली किस लग्न की है और शुभ अशुभ भाव कौन से है। उसी अध्ययन के अनुसार बड़ी बारीकी से यह निर्णय लिया जाता है की कौन सा रत्न धारण किया जाये।

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जब सही अध्ययन करके रत्न धारण किया जाता है तो आपको जीवन में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिलता है। जीवन की रुकावटें दूर होती है, व्यक्ति अपने जीवन के सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
जन्म कुंडली में सभी ग्रहों में सूर्य का सबसे अधिक महत्त्व और प्रभाव रहता है। सूर्य सभी ग्रहों का राजा होने से लग्न कुंडली में सूर्य की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। इसलिए किसी भी जातक का सूर्य रत्न माणिक्य धारण करना काफी महत्वपूर्ण माना गया है।

माणिक रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए

माणिक रत्न किस उंगली में पहनना है
माणिक रत्न किस उंगली में पहनना है

जैस की बताया की माणिक्य बहुत महत्वपूर्ण रत्न है। पहले तो यह जानकारी लेना बहुत जरुरी होता है की आपकी जन्म कुंडली में सूर्य की क्या भूमिका है। अगर जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर है, अशुभ ग्रहों से पीड़ित है, शुभ भाव के स्वामी होकर अशुभ भाव में बैठे है, सूर्य की महादशा चल रही है, इन्हीं सब को देखते हुए माणिक्य रत्न धारण किया जाता है।

बहुत बार ऐसा होता है की व्यक्ति माणिक्य को एक शुभ रत्न जानकर बैगैर कुंडली विश्लेषण के धरण कर लेता है और यही नहीं माणिक्य को किसी भी उंगली में धारण कर लिया जाता है। जो सरासर गलत है, ऐसा करने से आपको बहुत बड़ा कष्ट उठाना पड़ सकता है। बड़ी आर्थिक हानि, सामाजिक बदनामी, शारीरिक कष्ट या दुर्घटना या कारोबारी हानि का सामना करना पड़ सकता है।

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इसलिए कभी भी ऐसा ना करें। सबसे पहले तो आपको यह जानना बहुत जरुरी है की माणिक्य आपको कब धारण करना है और किस ऊँगली में धारण करना है क्योंकि माणिक्य को धारण करने के लिए उंगली का बहुत अधिक महत्त्व है। गलत उंगली में धारण किया गया माणिक्य आपके जीवन में कष्टों का तूफान ला सकता है।

इसलिए ज्योतिष शास्त्र के नियमों के अनुसार माणिक्य धारण करने के लिए अनामिका उंगली निर्धारित की गई है। अनामिका ऊँगली के नीचे सूर्य पर्वत का स्थान रहता है जिसका प्रभाव तभी मिलेगा जब आप माणिक्य को अनामिका ऊँगली में धारण करेंगे। अगर आप माणिक्य को किसी दूसरी ऊँगली में धारण करते है तो विरोध की स्तिथि उत्पन्न होने लगेगी क्योंकि अन्य उंगलियों पर अन्य ग्रहों का शासन है।

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अनामिका उंगली में धारण किया गया माणिक्य के साथ यह भी जरुरी होता है की मणिक्य को केवल रविवार के दिन सूर्योदय के समय सूर्य की पूजा और मंत्रो के सहित माणिक्य रत्न को धारण किया जाये।

माणिक्य धारण करने की धातु

माणिक्य को अनामिका ऊँगली में रविवार के दिन पूजा और विधि विधान से धारण करना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें की माणिक्य को केवल सोने, पंचधातु या अष्ठधातु में ही बनवाकर धारण करें। माणिक्य को कभी भी चांदी में धारण ना करें।

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जब आप माणिक्य धारण करते है तो यह भी ध्यान रखें की माणिक्य खूबसूरत लाल रंग का और उस पर किसी भी तरह के दाग या काले छींटे नहीं होने चाहिए। माणिक्य 5 कैरट या उससे अधिक का ही धारण करें। तभी उसके पूर्ण लाभ प्राप्त होंगे।

तो साथियों आपने इस लेख से जाना की माणिक रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए और यह क्यों बहुत जरुरी है। आप माणिक्य रत्न के बारे में और भी लेख पढ़कर जानकारियां प्राप्त कर सकते है सकते है जिनके लिंक हमने निचे दिए है।

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